दरअसल, उपचुनाव के नतीजों में कांग्रेस प्रत्याशियों की 7 सीटों में से तीन सीटों पर जमानत जब्त हुई है। चौरासी, सलूंबर और खींवसर में कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है। वहीं, चार सीटों पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही है।
डोटासरा ने ऐसे ली हार की जिम्मेदारी
परिणामों के बाद डोटासरा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि
राजस्थान विधानसभा उपचुनाव के परिणाम हमारे लिए आशानुरूप नहीं आए, हम सरल हृदय से परिणाम को स्वीकार करते हैं। लेकिन सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, बूथ कैप्चरिंग एवं धनबल के बावजूद भाजपा को 2 सीटों पर शिकस्त मिली है, ये सरकार की हार है। दौसा एवं चौरासी की जनता ने भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों को नकार दिया।
डोटासरा ने कहा कि मैं पीसीसी अध्यक्ष हूं, हार की जिम्मेदारी लेता हुं। उपचुनाव अमूमन सरकार के तरफ होते है सत्ता पक्ष की अमूमन जीतती है। सरकार ज्यादा खुश न हो, सारे मंत्री नेता सरकार पूरी दौसा में लगी रही, फिर भी मंत्री
किरोड़ी लाल मीणा के भाई को नहीं जीता पाए, यह सरकार की हार हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में हुए 9 उपचुनाव में भाजपा को सिर्फ 1 सीट मिली थी, 7 चुनाव कांग्रेस ने जीते थे। पिछले 11 महीने से प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद 8 उपचुनाव में कांग्रेस ने 2 सीटें जीती हैं, जबकि भाजपा को 5 सीटें मिली है।
मुझे भरोसा है कि आने वाले समय में कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपा के झूठ, दुष्प्रचार एवं वादाखिलाफी को प्रदेश की जनता को समझाने में जरूर कामयाब होंगे। चुनाव में कांग्रेस के प्रति विश्वास जताने वाली जनता-जनार्दन एवं कड़ी मेहनत करने वाले समस्त कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं।
बीजेपी 5, कांग्रेस 1 और बाप 1 पर जीती
गौरतलब है कि राजस्थान उपचुनाव की सभी सातों सीटों का परिणाम आ गया है, इनमें बीजेपी ने पांच सीटों (झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर, रामगढ़) पर जीत का परचम लहराया है। वहीं, कांग्रेस को दौसा और बाप को चौरासी में जीत से संतोष करना पड़ा है। इन उपचुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है, क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनावों के समय इन सात सीटों में से कांग्रेस के पास चार, एक बीजेपी, एक बाप और एक आरएलपी के पास थी। अब परिणाम के बाद कांग्रेस केवल अपनी दौसा सीट बचा पाई है। कांग्रेस को रामगढ़, देवली-उनियारा और झुंझुनूं में हार का सामना करना पड़ा है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को भी अपनी एक सीट गंवानी पड़ी है।