हाल ही में जारी सरकारी आदेश के मुताबिक, राज्य द्वारा संचालित अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं निरंतर कार्य क्षमता बरकरार रखने के लिए दान स्वीकृति समिति यानी डीएसी के जरिए उपकरण, एंबुलेंस और चिकित्सा उपकरणों का दान दिया जाएगा।
प्रमुख स्वास्थ्य सचिव ने क्या कहा
प्रमुख स्वास्थ्य सचिव गायत्री राठौर ने बताया, इस कार्य के जरिए दान किए गए उपकरणों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। समितियों को दान तभी स्वीकर करना है, जब सुविधा के मुताबिक और उन्हें संचालित करने के लिए कर्मचारी और अन्य जरूरतें पूरी हो।
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राठौर ने कहा, कभी-कभी डायग्नोस्टिक मशीनें अस्पतालों को दान कर दी जाती हैं। जहां ये उपकरण परीक्षण मुफ्त डायग्नोस्टिक योजनाओं के तहत कवर नहीं किए जाते हैं, जिससे उपकरण बेकार हो जाते हैं।
दानदाताओं पर लगेगा शुल्क
स्वास्थ्य विभाग की ओर से दानदाताओं पर शुल्क लगाया जाएगा। एंबुलेंस दानदाताओं को रखरखाव के लिए भुगतान करना होगा। यदि कोई दानदाता मशीन, उपकरण या डिवाइस प्रदान कर रहा है तो उन्हें मशीन की कार्यक्षमता के लिए आवश्यक उपभोग वस्तुओं के लिए पांच साल तक भुगतान करना होगा। स्वास्थ्य विभाग चिकित्सा उपकरण, एंबुलेंस और मशीनों के दान की निगरानी के लिए अस्पतालों में डीएसी स्थापित करेगा।
दान किए उपकरण बेकार पड़े रहते थे
पहले जिन अस्पतालों को संचालित करने के लिए संसाधनों की कमी थी, वहां दान किए गए उपकरण सालों तक बेकार पड़े रहते थे। राजस्थान में दानदाताओं द्वारा दो करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए 140 ऑक्सीजन प्लांट में से लगभग आधे बंद पड़े हैं। अब समितियां दान की गई वस्तुओं की उपयोगिता का आकलन करेंगी। दान देने से पहले यह निर्धारित करना पड़ेगा कि उपकरण चलाने के लिए वहां डॉक्टर या तकनीकी कर्मचारी उपलब्ध हैं या नहीं।