ऐसे करते हैं ठगी
एसपी साइबर क्राइम शांतनु कुमार सिंह ने बताया कि साइबर ठग अक्सर विभागों के प्रमुखों, नामचीन व्यक्तियों, या किसी कंपनी के चेयरमैन/मालिक की प्रोफाइल तस्वीर ( Profile Picture Scam ) का इस्तेमाल करते हैं। वे या तो खुद को वह व्यक्ति बताते हैं या खुद को उनके अधीन काम करने वाला बताकर अपने मोबाइल नंबर से मैसेज या कॉल करते हैं।
बहाना बनाकर तुरंत पैसे कराते हैं ट्रांसफर
धोखेबाज स्वयं को या उस व्यक्ति को किसी बैठक में व्यस्त या आपात स्थिति में होने का बहाना बनाते हैं, और तत्काल पैसों की मांग करते हैं। वे प्रोजेक्ट से संबंधित खर्च, आपातकालीन स्थिति या सरकारी खर्च का बहाना बनाकर आमजन, कनिष्ठ अधिकारियों या कर्मचारियों को फोन/वीडियो कॉल करते हैं और यूपीआई के माध्यम से तुरंत पैसे ट्रांसफर करने का निर्देश देते हैं। कई बार लोग इन निर्देशों को वास्तविक मानकर या डर के मारे पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। जब बाद में असली व्यक्ति से संपर्क किया जाता है, तब तक साइबर अपराधी राशि निकाल चुके होते हैं। राजस्थान पुलिस ने इस नई साइबर अपराध तकनीक से बचाव के लिए सलाह दी है। ये तरीके अपनाकर बचें ठगी से
- प्रोफाइल पर लगी तस्वीर देखकर झांसे में न आएं। तस्वीर को ही सत्यता का प्रमाण न मानें।
- अनजान व्यक्ति द्वारा तुरंत पैसे मांगे जाने पर पूरी तरह जांच-पड़ताल करें कि आप पैसे किसे दे रहे हैं। सीधे पैसे ट्रांसफर न करें।
- साइबर ठग अक्सर मेडिकल आपात स्थिति या समय की कमी का झांसा देकर जल्दी पैसे देने का दबाव बनाते हैं। ऐसी स्थिति में अत्यधिक सावधान रहना आवश्यक है।
- किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर अपने नजदीकी पुलिस थाने में कार्यरत साइबर हेल्पडेस्क से संपर्क करें।
- पुलिस मुख्यालय की हेल्पडेस्क नंबर 9256001930 / 9257510100 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
- यदि आप इस प्रकार की घटना का शिकार होते हैं, तो तुरंत साइबर हेल्पलाईन नंबर 1930, साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल ( https://cybercrime.gov.in ), या निकटतम पुलिस स्टेशन/साइबर पुलिस स्टेशन को सूचना दें।