महिला अपराध के मामलों में टॉप तीन में राजस्थान
चौंकाने वाली बात यह है कि राजस्थान महिला अपराध के मामलों में देश में टॉप तीन राज्यों में शुमार है। लेकिन महिला पुलिसकर्मियों की संख्या के हिसाब से 15वें स्थान पर आता है। पिछले चार-पांच साल की बात करें तो करीब तीस से चालीस हजार की संख्या में महिला अपराध दर्ज होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ये आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है। इसके मुकाबले एक महिला पुलिसकर्मी औसतन 4,000 महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रही है।
प्रमोशन, समानता, तबादला नीति के चलते मुंह मोड़ा
विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस विभाग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सिर्फ आरक्षण काफी नहीं है। भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता, कार्यस्थल पर सुरक्षा, प्रमोशन में समान अवसर और महिला पुलिसकर्मियों की सामाजिक स्थिति में बदलाव लाने की जरूरत है। हालांकि सरकार समय—समय पर भर्तियों की घोषणा करती रही है, लेकिन महिला पुलिसकर्मियों के सामने आने वाली चुनौतियां जैसे काम के घंटे, ट्रांसफर नीति और मातृत्व अवकाश की कमी पुलिस सेवा में आने से रोकती हैं।
देश के अन्य राज्यों का हाल
महिला पुलिसकर्मियों की नफरी की बात की जाए तो राजस्थान देश में 15वें नंबर पर है। पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या प्रतिशत के मामले में राजस्थान से आगे बिहार, गोआ, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, दमनदीप, महाराष्ट्र, उडीसा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दिल्ली, लद्दाख और लक्ष्यदीप जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं। हालांकि हाल ही में करीब दस हजार पोस्ट पर पुलिस कांस्टेबल भर्ती निकाली गई है। सरकार को उम्मीद है कि इस भर्ती से करीब तीन हजार महिला पुलिसकर्मी मिल सकती हैं।