बता दें, महानिदेशक पुलिस, इंटेलीजेंस संजय अग्रवाल के निर्देशों के तहत यह पहल की गई थी। राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ती ड्रोन गतिविधियों को देखते हुए आईटीए जयपुर में एक ड्रोन रिसर्च सेंटर और ड्रोन फोरेंसिक लैब स्थापित करने का उद्देश्य है। इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आईटी सेल के प्रभारी रमेश शर्मा को इस विशिष्ट रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर कोर्स के लिए भेजा गया था।
रमेश शर्मा के अथक परिश्रम और समर्पण ने उन्हें इस अत्यंत कठिन परीक्षा में सफलता दिलाई। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि डीजीसीए (DGCA) द्वारा आयोजित इस परीक्षा का परिणाम मात्र 22% रहा है, जो उनकी उपलब्धि को और भी खास बनाता है। यह दिखाता है कि उन्होंने कितनी कुशलता और ज्ञान के साथ यह कोर्स पूरा किया है।
रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर कोर्स क्या है?
आईटीए, जयपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शालिनी सक्सेना ने बताया कि यह कोर्स ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षण देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें शिक्षण कौशल, हवाई नियम-कानून, ड्रोन संचालन, उड़ान यांत्रिकी, सुरक्षा प्रक्रियाएं और जोखिम प्रबंधन जैसे विषय शामिल हैं। इस कोर्स को पूरा करने वाला व्यक्ति ड्रोन के सुरक्षित और प्रभावी संचालन के लिए दूसरों को प्रशिक्षित करने में सक्षम होता है। भारत में रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर बनने के लिए डीजीसीए द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संगठन से यह कोर्स करना अनिवार्य है। इस कोर्स में मुख्य रूप से ये शामिल हैं- शिक्षण कौशल, हवाई कानून और नियम, ड्रोन संचालन और उड़ान यांत्रिकी, सुरक्षा प्रक्रियाएं और जोखिम प्रबंधन, और व्यावहारिक उड़ान प्रशिक्षण। इन सभी पहलुओं पर गहन प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि इंस्ट्रक्टर छात्रों को ड्रोन के सुरक्षित और प्रभावी संचालन के लिए पूरी तरह से तैयार कर सकें।
इंस्ट्रक्टर बनने के लिए कोर्स जरूरी
दरअसल, भारत में, रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर बनने के लिए डीजीसीए द्वारा प्रमाणित प्रशिक्षण संगठनों से कोर्स करना अनिवार्य है। यह कोर्स पूरा करने के बाद, एक व्यक्ति एक प्रमाणित रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (RPTO) में इंस्ट्रक्टर के रूप में काम कर सकता है, जो ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए अधिकृत हैं। गौरतलब है कि रमेश शर्मा की यह उपलब्धि राजस्थान पुलिस की तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने और ड्रोन तकनीक का उपयोग कर सुरक्षा और निगरानी को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह राज्य में ड्रोन संचालन के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, जिससे कानून प्रवर्तन और सुरक्षा के क्षेत्र में ड्रोन का बेहतर उपयोग संभव हो पाएगा।