दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने 16 आरोपियों को जमानत दी है। यह निर्णय जांच एजेंसी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को 17 आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें से 16 आरोपियों को कोर्ट ने जमानत दी है।
‘झूठा माहौल बनाने से हालात नहीं बदलते’
PCC चीफ डोटासरा ने कहा कि, भाजपा ने सत्ता में आने से पहले RPSC को भंग करने एवं पेपर लीक के आरोपियों और माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई का दंभ भरा था। BJP नेताओं ने सत्ता हासिल करने के लिए षड्यंत्रपूर्वक राजनीतिक विरोधियों की छवि को धूमिल करने का भी कुप्रयास किया। लेकिन सरकार में आने के बाद थोथी वाहवाही लूटने एवं जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए केवल खानापूर्ति जैसी कार्रवाई हुई। सच ये है कि भाजपा सरकार की कमजोर पैरवी की वजह से आरोपी छूट रहे हैं एवं ‘मगरमच्छ’ (माफिया) अभी भी सरकार की पहुंच से बाहर हैं। सरकार ने 100 आरोपी भी नहीं पकड़े और हालात ये हैं कि पकड़े गए ज्यादातर आरोपी भी जमानत पर रिहा हो रहे हैं। सिर्फ झूठा माहौल बनाने से हालात नहीं बदलते।
BJP की भांति प्रोपेगेंडा नहीं चलाया
उन्होंने कहा कि इससे कहीं ज्यादा कठोर कार्रवाई पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय हुई। करीब 260 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई, RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा को जेल भेजा एवं संलिप्त पाए गए कार्मिकों को नौकरी से बर्खास्त किया। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार ने पेपर लीक पर उम्रकैद और 10 करोड़ रुपए जुर्माने का सख्त कानून बनाया। भाजपा की भांति सिर्फ प्रोपेगेंडा नहीं चलाया।
कहा कि- सरकार का 1 साल पूर्ण होने के बाद भी नकल माफियाओं का गिरफ्त से बाहर होना, SI भर्ती के संदर्भ में कोई निर्णय नहीं कर पाना एवं गत सरकार के निर्णयों पर समीक्षा नहीं होना मुखिया के कमजोर नेतृत्व और अक्षमता को दर्शाते हैं।
जमानत मिलना SOG की जांच पर सवाल
मालूम हो कि राजस्थान में एसआई भर्ती-2021 का पेपर लीक मामला बड़े घोटालों में गिना जाता है। एसओजी ने इस मामले में अब तक करीब 80 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से कई आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, जबकि कई अब भी जेल में हैं। जानकारो का मानना है कि हाईकोर्ट द्वारा 16 आरोपियों को जमानत मिलना एसओजी की जांच पर सवाल खड़े करता है। आरोपियों को जमानत मिलने से अब मामले में आगे की जांच प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।