सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र के टॉपर आदित्य उपाध्याय और प्रवीण खराड़ी के नाम पेपर खरीद-फरोख्त में आने से भर्ती की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। उन्होंने दावा किया कि पेपर पूरी तरह लीक हुआ, जिसके कारण मेहनती और योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए।
पीएम से परीक्षा रद्द करने की मांग की
सांसद राजकुमार रोत ने विशेष रूप से आदित्य उपाध्याय के पिता बुद्धि सागर पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उप निरीक्षक (SI) भर्ती परीक्षा-2021 में अनुसूचित क्षेत्र के टॉपर आदित्य उपाध्याय और प्रवीण खराड़ी के नाम पेपर खरीद-फरोख्त में आना चिंताजनक है। इससे स्पष्ट होता है कि इस भर्ती परीक्षा का पेपर पूरी तरह लीक हुआ है और मेहनती एवं योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित रहे हैं। राजकुमार रोत ने कहा कि पेपर खरीदकर टॉपर बने आदित्य उपाध्याय के पिता बुद्धि सागर ने जनजातीय क्षेत्रीय विकास (TAD) विभाग में रहकर आदिवासी कल्याण के करोड़ों रुपए का घोटाला किया है, उन्हीं पैसे से पेपर खरीदकर अपने अयोग्य बेटे को SI बनाया है। ऐसे दूषित तरीके से चयनित निकम्मा व्यक्ति पुलिस अधिकारी के रूप में अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी, दलित, पिछड़े और गरीब लोगों के साथ अन्याय एवं शोषण कर जिंदगी भर लुटता है।
सांसद ने कहा कि ऐसे न जाने कितने अभ्यर्थी पैसे के दम पर पेपर खरीदकर SI बने हैं, जो भविष्य में प्रदेश की कानून-व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हैं। राजस्थान के महत्वपूर्ण निर्णय दिल्ली से होते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हमारी मांग है कि इस दूषित भर्ती को तुरंत प्रभाव से रद्द करें और पेपर लीक करने वाले तत्कालीन वास्तविक जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी हो।
भर्ती में अब तक क्या हुआ?
राजस्थान पुलिस SI भर्ती परीक्षा-2021 में अनियमितताओं के आरोपों के बाद मामला गरमाया हुआ है। भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं। सरकार ने 13 मई 2025 को एक कैबिनेट सब-कमेटी गठित की, जिसने 21 मई को बैठक के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने की बात कही। हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर और मंत्रियों की अनुपलब्धता के कारण सभी सदस्य बैठक में शामिल नहीं हो सके। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सरकार को कई बार चेतावनी दी है। 26 मई 2025 तक फैसला नहीं होने पर कोर्ट ने कड़े परिणामों की चेतावनी दी थी। अब सरकार को 1 जुलाई 2025 तक का अंतिम मौका दिया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टालमटोल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि सरकार इस बार भी स्पष्ट रुख नहीं अपनाती, तो न्यायालय कठोर कदम उठा सकता है।