पुलिस के अनुसार आरोपी कार में 7 कर्टन भर रक्त के बैग बेचने के लिए सवाईमाधोपुर ले जा रहे थे। उधर, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने आरोप लगाया कि राजस्थान में कई ब्लड बैंकों में रक्त को अवैध रूप से बेचा जा रहा है। इनमें संलिप्त लोगों को कई मंत्रियों और विधायकों का संरक्षण मिला हुआ है।
औषधि नियंत्रण संगठन की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मकराना में पूर्व विधायक रूपाराम मुरावतिया के छोटे भाई की स्मृति में 25-26 जनवरी को रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, राज्य मंत्री विजय चौधरी, किशनगढ़ विधायक विकास चौधरी, पूर्व विधायक मानसिंह किनसरिया सहित अन्य मौजूद थे। शिविर में कुल 2765 यूनिट रक्त एकत्र हुआ। इसमें से 255 यूनिट की तस्करी की जा रही थी।
रक्त को स्टोरेज मापदंड के बिना मकराना ब्लड सेंटर से
सवाईमाधोपुर के महादेवी ब्लड सेंटर के लिए भेजा जा रहा था। नियमानुसार एक यूनिट में 450 मिलीलीटर ब्लड का स्टोरेज होता है, लेकिन इसमें अधिक यूनिट पाई गई है। ब्लड के साथ मकराना ब्लड सेंटर का तकनीशियन था। उसके पास कोई दस्तावेज नहीं थे। रक्त को सुरक्षित जयपुरिया अस्पताल के ब्लड बैंक में रखवाया गया है। मकराना ब्लड सेंटर और सवाईमाधोपुर के ब्लड बैंक के भी निरीक्षण करवाए गए। जहां गंभीर अनियमिताताएं मिली। मकराना ब्लड सेंटर को नोटिस दिया गया। वहां के ब्लड को सरकारी ब्लड सेंटर में ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए हैं।
खून में मिलावट का भी सामने आ चुका मामला
तीन वर्ष पहले जनवरी 2022 में खून में मिलावट करने का मामला सामने आ चुका है। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में दान में मिले रक्त में सेनाइल वाटर मिलाकर उसकी मात्रा बढ़ाने और फिर दोगुने दाम में बेचने का खुलासा एसटीएफ और ड्रग विभाग ने किया था। ब्लड के इस काले कारोबार के तार राजस्थान के ब्लड बैंकों से भी जुड़े मिले। कारोबारी जयपुर, सीकर और चौंमू के 8 विभिन्न ब्लड बैंकों से रक्त ले जाकर यह कारोबार कर रहे थे।
चालक ने भगाई कार
पुलिस को सूचना मिली थी कि रक्तदान शिविर में एकत्र रक्त को रविवार रात 12 बजे कार से अवैध रूप से बेचने ले जाया जा रहा है। इस पर पुलिस ने नाकाबंदी की और ढाणी नागान बायपास पर महलां तिराहे की तरफ से आ रही कार को रुकने का इशारा किया तो चालक कार को भगा ले गया। इस पर पुलिस ने पीछा कर आरोपियों को पकड़ लिया।
रातभर पुलिस लगाती रही चक्कर
डीएसपी प्रियंका वैष्णव ने बताया कि पुलिस जब्त खून को लेकर जयपुर के एसएमएस अस्पताल पहुुंची तो वहां दस्तावेज नहीं होने के चलते जमा करने से मना कर दिया गया। जिसके चलते पुलिस रक्त को वापस जोबनेर सामुदायिक चिकित्सालय लेकर आ गई। जोबनेर में इतने यूनिट खून को रखने के लिए डीप फ्रिज न होने के चलते बाहर से व्यवस्था कर फ्रिज मंगवाया गया। रक्त एक ब्लड सेंटर से दूसरे ब्लड बैंक में शिफ्ट किया जा रहा था, लेकिन उसके लिए साथ जा रहे तकनीशियन के पास कोई दस्तावेज नहीं थे। तत्काल एक टीम भेजी गई। जिसकी जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। आगे की कार्यवाही और जांच की जा रही है।
मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। मैं अपनी बात प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित कर रखूंगा।
- रूपाराम मुरावतिया, पूर्व विधायक