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जैसलमेर

1 दिन….15 गांव, 6944 ऊंट — थार में ऊंटों के लिए सबसे बड़ा शिविर अभियान

थार के रेगिस्तान में बसे जैसलमेर जिले में ऊंट पालकों के लिए राहत भरी पहल की गई। उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत जिले की सातों पंचायत समितियों के अंतर्गत 15 स्थानों पर ऊंटों के लिए विशेष पशु चिकित्सा शिविर लगाए गए।

जैसलमेरJun 28, 2025 / 08:22 pm

Deepak Vyas

थार के रेगिस्तान में बसे जैसलमेर जिले में ऊंट पालकों के लिए राहत भरी पहल की गई। उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत जिले की सातों पंचायत समितियों के अंतर्गत 15 स्थानों पर ऊंटों के लिए विशेष पशु चिकित्सा शिविर लगाए गए। सम, खुहड़ी, धोलिया, सांकड़ा, मोडरडी, सोढ़ाकोर, खाभा, ताड़ाना, मोहनगढ़, मेघा, रासला, अवाय, आसकंद्रा, बारठ का गांव और रातडिय़ा ग्राम पंचायतों में हुए शिविरों में 6944 ऊंटों का नि:शुल्क उपचार किया गया।
शिविरों में ऊंटों में सामान्यत: पाई जाने वाली सर्रा और पांव की खुजली जैसी बीमारियों का उपचार किया गया। उपचार के दौरान पशुधन निरीक्षकों ने आईवरमैक्टिन इंजेक्शन लगाए, जो इन बीमारियों को जड़ से खत्म करने में सहायक होता है। शिविरों के माध्यम से एक ही दिन में 725 ऊंटपालकों को लाभ मिला। शिविरों में ऊंटपालकों ने उत्साह के साथ भाग लिया। ऊंटों की खुजली से पशु कमजोर हो जाते हैं और पानी व चारा भी कम ग्रहण करते हैं, ऐसे में इस अभियान से सीधे तौर पर उनकी सेहत में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

पालन-पोषण के लिए मिला अनुदान

पिछले वित्तीय वर्ष में उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत राज्य सरकार ने जिले के करीब 900 ऊंट पालकों के खातों में 211.50 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की। यह भुगतान 4230 टोडियों के पालन-पोषण, बीमा और उपचार के उद्देश्य से किया गया।

अनुदान राशि में बढ़ोतरी

इस वर्ष से ऊंट पालकों को दी जाने वाली वार्षिक अनुदान राशि को 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपए कर दिया गया है। सरकार का लक्ष्य ऊंटों की संख्या में वृद्धि कर उष्ट्र पालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।

चरागाह और दूध की मांग पर जोर

जिले में सिंचित क्षेत्र बढऩे के कारण चराई योग्य भूमि कम होने से ऊंट पालकों को समस्या हो रही है। ऊंट पालकों ने मांग की है कि प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर ऊंटों के लिए अभयारण्य घोषित किए जाएं, जिससे चराई की समस्या दूर हो सके। ऊंटनियों के दूध की मांग देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में औषधीय गुण होने के कारण डायबिटीज, घुटनों के दर्द और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों में इसके उपयोग को लाभकारी बताया गया है।

भविष्य की आय के नए द्वार

विभिन्न कंपनियों की ओर से किए गए सर्वे में सामने आया है कि आने वाले समय में ऊंटनियों के दूध की बिक्री से ऊंट पालकों को अनुदान के अलावा अच्छी आय हो सकेगी।

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