नक्काशी और जाली: सुंदरता के साथ सुविधा
हवेलियों में पत्थरों पर की गई नक्काशी और जाली कार्य केवल सजावट नहीं है। जालियां प्रकाश को छनकर भीतर आने देती हैं और हवा का प्रवाह बनाए रखती हैं, जिससे घर रोशनी से भरा, लेकिन गर्मी से सुरक्षित रहता है।
हीटवेव में राहत का फार्मूला
जैसलमेर के सिविल इंजीनियर चन्दनसिंह भाटी कहते हैं कि जैसलमेर भवन निर्माण मॉडल ऊर्जा दक्ष और पर्यावरण के अनुकूल है। जालियां और नक्काशी ताप नियंत्रण और वायु के प्रवाह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जैसलमेर मॉडल अपनाने के फायदे
- ऊर्जा की बचत, एसी-कूलर की जरूरत घटती है।
- पर्यावरण संरक्षण, कार्बन उत्सर्जन में कमी।
- मानसिक सुकून, प्राकृतिक ठंडक से बेहतर जीवन अनुभव।
- धरोहर संरक्षण, पारंपरिक शैली जीवित रहती है।
-कम रख- रखाव, मजबूत निर्माण अधिक टिकाऊ होता है। - सौंदर्य व गोपनीयता, जाली डिज़ाइन से दोनों संतुलित।
भीषण गर्मी में 7-8 डिग्री तक राहत
जैसलमेर की पारंपरिक वास्तुकला भीषण गर्मी में भी 7-8 डिग्री तक ठंडक बनाए रखती है। संकरी गलियों का दिशा-निर्देशन और हवेलियों की संरचना प्राकृतिक वेंटिलेशन को बढ़ावा देती है। पीले बलुआ पत्थर और मोटी दीवारें थर्मल इंसुलेशन का काम करती हैं। झरोखे, चौक और जालियां हवा और प्रकाश के संतुलन में सहायक हैं। चूने का उपयोग भी भवनों को ठंडा रखने में मदद करता है। इनके निर्माण कार्य की लागत आम निर्माण कार्यों के समान होती है, लेकिन वायु और तापमान के अनुसार भवन निर्माण में दिशाओं का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि प्राकृतिक वेंटिलेशन और ठंडक बनाए रखी जा सके।
-आर्किटेक्ट, कमलेश कुम्हार
विभागाध्यक्ष, नियोजन विभाग
एमबीएम विश्वविध्यालय, जोधपुर