नशे के लिए बढ़ रहे अपराध
महंगे नशे की लत के कारण स्थानीय युवा तेजी से अपराध की दुनिया में भी दाखिल हो रहे हैं। वे इनका सेवन करते-करते इनकी बिक्री के काम में भी जुट जाते हैं। इसके अलावा छोटी-मोटी चोरी की वारदातों के पीछे भी इस लत को देखा जा रहा है। पूर्व के वर्षों में पर्यटकों को कई लोग मादक पदार्थों की सप्लाई करते रहे हैं। अब उनके ग्राहकों की सूची में स्थानीय लोग भी शामिल हो गए हैं। जानकारी के अनुसार शहर के कुछ गेस्ट हाउस और होटल इस काले कारोबार का अड्डा बन चुके हैं। आमजन की आवाजाही वाले चौराहों पर भी यह काम कूट भाषा में अंजाम दिया जाता है।- नशे की काली सच्चाई यह भी है कि स्कूल व कॉलेज शिक्षा अर्जित करने वाले किशोर व युवा भी तेजी से आदी बन रहे हैं। वे शुरुआत में शौकिया सिगरेट या बीड़ी का सेवन करते हैं और धीरे-धीरे शराब, गांजा व चरस आदि तक पहुंच जाते हैं।
- जैसलमेर में गांव व शहर, दोनोंं में अफीम की जड़ जोर पकड़ रही है। हालांकि हाल के समय में अनेक समाजों की तरफ से पहल करते हुए सामाजिक कार्यक्रमों में अफीम जैसे मादक पदार्थों का उपयोग नहीं करने के संकल्प लिए गए हैं।
- नशे का सामान जुटाने के लिए स्थानीय लोग देशी-विदेशी पर्यटकों तक पहुंच बनाते हैं। जैसलमेर आने वाले अनेक पर्यटक यहां नशावृत्ति के लिए भी आते हैं। उन्हें बड़ी आसानी से नशे का सामान उपलब्ध हो जाता है।
- नशीले पदार्थों का सेवन करने के आदी लोग कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं।
नशे की चपेट में हर आयुवर्ग के लोग - मनोचिकित्सक डॉ. रामसिंह यादव से सीधी बात
पत्रिका : किस आयु वर्ग के मरीज आपके पास उपचार के लिए ज्यादा पहुंच रहे हैं?
यादव : अफीम-डोडा, एमडीएमए, शराब, टेबलेट्स आदि नशे से पीडि़त प्रत्येक आयुवर्ग के मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।
पत्रिका : क्या नशे के ओवरडोज के भी मामले आते हैं?
यादव : एमडीएमए आदि नशे के ओवरडोज के मामले ट्रोमा वार्ड में आते हैं।