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जैसलमेर

शांत और सुसंस्कृत जैसाण में अंदरखाने गूंज रहा नशा…नशा

शांत, सुसंस्कृत व सुसभ्य माने जाने वाले जैसलमेर की आबोहवा में नशे का जहर तेजी से फैल रहा है।

जैसलमेरApr 21, 2025 / 08:55 pm

Deepak Vyas

jsm
शांत, सुसंस्कृत व सुसभ्य माने जाने वाले जैसलमेर की आबोहवा में नशे का जहर तेजी से फैल रहा है। गांजा, चरस और एमडीएमए जैसे घातक और अत्यधिक महंगे नशीले पदार्थों की खपत जैसलमेर में बढ़ गई है। सूनसान इलाकों के साथ युवा और इन नशों के साथ शराबखोरी की चपेट में आए अन्य आयुवर्ग के लोग व्यस्त आवाजाही जैसे क्षेत्रों में घातक नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। आए दिन पुलिस नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है, इसके बावजूद नशे की यह विषबैल निरंतर पनप रही है। जल्द से जल्द पैसा कमाने की चाहत, कुसंगति और सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर किशोर से युवा अवस्था वाले लोग नशे की अंधेरी सुरंग में आगे बढ़ गए हैं। हाल के महीनों में पुलिस ने एमडीएमए (एमडी), स्मैक, डोडा-पोस्त आदि मादक पदार्थों की बरामदगी की है। जानकारी के अनुसार एमडी 2000 से 3000 रुपए प्रति ग्राम बिक रही है। यह नशा अब यहां के युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से खोखला कर रहा है। इसकी जद में आने वाले कई प्रतिष्ठित परिवारों के युवा और बड़ी आयु के लोग भी शामिल हो चुके हैं।

नशे के लिए बढ़ रहे अपराध

महंगे नशे की लत के कारण स्थानीय युवा तेजी से अपराध की दुनिया में भी दाखिल हो रहे हैं। वे इनका सेवन करते-करते इनकी बिक्री के काम में भी जुट जाते हैं। इसके अलावा छोटी-मोटी चोरी की वारदातों के पीछे भी इस लत को देखा जा रहा है। पूर्व के वर्षों में पर्यटकों को कई लोग मादक पदार्थों की सप्लाई करते रहे हैं। अब उनके ग्राहकों की सूची में स्थानीय लोग भी शामिल हो गए हैं। जानकारी के अनुसार शहर के कुछ गेस्ट हाउस और होटल इस काले कारोबार का अड्डा बन चुके हैं। आमजन की आवाजाही वाले चौराहों पर भी यह काम कूट भाषा में अंजाम दिया जाता है।
किशोर व युवा भी आ रहे चपेट में

  • नशे की काली सच्चाई यह भी है कि स्कूल व कॉलेज शिक्षा अर्जित करने वाले किशोर व युवा भी तेजी से आदी बन रहे हैं। वे शुरुआत में शौकिया सिगरेट या बीड़ी का सेवन करते हैं और धीरे-धीरे शराब, गांजा व चरस आदि तक पहुंच जाते हैं।
  • जैसलमेर में गांव व शहर, दोनोंं में अफीम की जड़ जोर पकड़ रही है। हालांकि हाल के समय में अनेक समाजों की तरफ से पहल करते हुए सामाजिक कार्यक्रमों में अफीम जैसे मादक पदार्थों का उपयोग नहीं करने के संकल्प लिए गए हैं।
  • नशे का सामान जुटाने के लिए स्थानीय लोग देशी-विदेशी पर्यटकों तक पहुंच बनाते हैं। जैसलमेर आने वाले अनेक पर्यटक यहां नशावृत्ति के लिए भी आते हैं। उन्हें बड़ी आसानी से नशे का सामान उपलब्ध हो जाता है।
  • नशीले पदार्थों का सेवन करने के आदी लोग कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं।
    नशे की चपेट में हर आयुवर्ग के लोग
  • मनोचिकित्सक डॉ. रामसिंह यादव से सीधी बात
    पत्रिका : किस आयु वर्ग के मरीज आपके पास उपचार के लिए ज्यादा पहुंच रहे हैं?
    यादव : अफीम-डोडा, एमडीएमए, शराब, टेबलेट्स आदि नशे से पीडि़त प्रत्येक आयुवर्ग के मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।
पत्रिका : मरीजों में किस तरह की परेशानियां होती हैं?
यादव : नशावृत्ति से ग्रस्त मरीज में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की दिक्कतें पेश आती हैं। शारीरिक परेशानियों में चक्कर आना, पेटदर्द, शरीर दर्द, हाथ-पैरों में कम्पन, उल्टी आना प्रमुख लक्षण होते हैं। ऐसे ही मानसिक परेशानियों में नींद नहीं आना, चिड़चिड़ापन, मन में उदासी, किसी काम को करने की इच्छा नहीं होना शामिल है।
पत्रिका : क्या नशे के ओवरडोज के भी मामले आते हैं?
यादव : एमडीएमए आदि नशे के ओवरडोज के मामले ट्रोमा वार्ड में आते हैं।
पत्रिका : मरीजों का उपचार कैसे किया जाता है?

यादव : उनका उपचार जरूरत के अनुसार ओपीडी या भर्ती करके किया जाता है।

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