चरागाहों पर विकास का दबाव
पिछले कुछ वर्षों में देगराय ओरण क्षेत्र में सोलर प्लांट्स और अन्य परियोजनाओं के चलते चारागाह भूमि का लगातार क्षरण हुआ है। इससे ऊंटों के लिए चारे की समस्या गंभीर हो चुकी है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले वर्षों में ऊंट केवल स्मृति बन कर रह जाएंगे।
ऊंटनी का दूध बन सकता है सहारा
ऊंटनी का दूध स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार यदि ऊंटनी के दूध से जुड़ी डेयरी गतिविधियों को बढ़ावा दे, तो इससे न केवल ऊंटपालन फिर से जीवित हो सकता है, बल्कि ग्रामीणों को स्थायी आजीविका भी मिल सकती है।
जरूरी है योजनाओं का सही क्रियान्वयन
ऊंट संरक्षण से जुड़ी कई योजनाएं कागजों पर मौजूद हैं, लेकिन इनका लाभ ज़मीनी स्तर तक नहीं पहुंच पा रहा। यदि कम ब्याज पर ऋण, चारे की सब्सिडी और डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसी योजनाएं प्रभावी रूप से लागू की जाएं, तो ऊंटों की घटती संख्या पर रोक लगाई जा सकती है।