क्या सोचा, क्या हुआ
वर्ष 2012 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जब जैसलमेर में करीब 100 करोड़ रुपए की लागत से सिविल एयरपोर्ट का निर्माण करवाया तब उम्मीदें बंधी थी कि अब यह शहर पर्यटन, उद्योग, व्यापार आदि के क्षेत्रों में नई उड़ान भरेगा। यहां के बाशिंदों के साथ बाहर से आने वाले लोगों व सैन्य सेवा के जवानों व अफसरों आदि को बड़ी सुविधा मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पर्यटन के चरम काल के करीब चार-पांच माह तक ही सिविल एयरपोर्ट से नियमित उड़ान की सुविधा मिलती है और विमानन कम्पनियां विशुद्ध मुनाफा कमा कर यहां से बोरिया बिस्तर समेट जाती हैं। बदल सकती है तस्वीर
- वास्तविकता यह है कि जैसलमेर से ही सैकड़ों की तादाद में लोग जोधपुर, जयपुर या अहमदाबाद जाकर अपने गंतव्य के लिए विमान सेवा का उपयोग करने के लिए विवश हैं। जैसलमेर में सिविल एयरपोर्ट पर वर्ष पर्यंत हवाई सफर की सुविधा मिले तो जिले के साथ पड़ोसी बाड़मेर के बाशिंदों व उद्योगपतियों, व्यवसायियों, पर्यटकों आदि को जबर्दस्त राहत मिल सकती है।
- जैसलमेर में पर्यटन अब मई और जून को छोड़ दें तो साल के शेष 10 महीनों में शुरू ही रहता है। हवाई सेवा मिल जाए तो इस कलात्मक व ऐतिहासिक नगर को देखने के लिए गर्मियों में भी लोग हिम्मत जुटा सकते हैं।
- जिले में सीमेंट कारखानों की स्थापना की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है। यहां का पत्थर उद्योग व व्यवसाय देश.दुनिया में नाम कमा चुका है। इसके अलावा कई किस्म के खनिजों व तेल.गैस के भंडार होने की यहां भारी संभावनाएं हैं।
- हवाई सेवा नहीं होने की वजह से जैसलमेर में फिल्मों व कॉमर्शियल एड आदि की शूटिंग नहीं के बराबर होती है।
- जिले में आर्मी का कैंट है। इसके अलावा एयरफोर्स व बीएसएफ में हजारों अधिकारी व जवान देश की सुरक्षा में तैनात हैं। बड़ी तादाद में देश के कोने-कोने से सैन्य बलों के लोग सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें विमान सुविधा हो तो बड़ी सुविधा मिल सकती है।
कोई नहीं दे रहा ध्यान
जैसलमेर के सिविल एयरपोर्ट पर साल भर विमान सेवा मुहैया करवाने की मांग पिछले कई वर्षों से उठ रही है। इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दे रहा हैए यह अफसोसजनक है।
- इंद्रसिंह, पर्यटन व्यवसायी
बन नहीं रही बात
नियमित हवाई सेवा के लिए पर्यटन और उद्योग क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने प्रशासन से लेकर सरकारों के नुमाइंदों तक बात पहुंचाई है। हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है, समस्या जस की तस है।