फिलहाल, वीआइपी विजिट के दौरान इसी एयर स्ट्रीप पर हेलीकॉप्टर उतरते हैं। चूंकि, एयर स्ट्रीप की लंबाई महज 792 मीटर है। इसलिए यहां बड़े प्लेन नहीं उतारे जा सकते। इसके लिए रन-वे की लंबाई बढ़ानी होगी। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा था। इसमें रनवे की लंबाई 2600 मीटर की जाएगी। साथ ही, आधारभूत ढांचे के रूप में विमान हेंगर, नियंत्रण कक्ष, विद्युतीकरण और बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
यह भी पढ़ें- एमपी में आंधी तूफान के साथ ओले-बारिश 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, 110 की रफ्तार से चली हवा वन विभाग से ली जाएगी जमीन
रन-वे की लंबाई के लिए अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता होगी। इसके लिए वन विभाग से अनुमति लेकर भूमि का हस्तांतरण करना होगा। क्योंकि, रनवे के विस्तार के लिए जो जमीन चाहिए वो वन विभाग के अधीन है।
एयर स्ट्रीप के विस्तार से फायदा
उज्जैन सिंहस्थ के दौरान इंदौर एयरपोर्ट पर ट्रैफिक बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। ऐसे में झाबुआ की एयर स्ट्रीप के विस्तार से यहां पर भी छोटे प्लेन उतारे जा सकेंगे। फिर तीर्थ यात्री और पर्यटक सड़क मार्ग से सीधे उज्जैन जा सकेंगे। खास बात ये है कि, पीएमश्री पर्यटन वायु सेवा और पीएमश्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा में भी झाबुआ की एयर स्ट्रीप का नाम शामिल है। यह भी पढ़ें- पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहला स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का सफल परीक्षण, बढ़ेगी सेना की ताकत 35 साल पहले हुआ था निर्माण
लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, झाबुआ के गोपालपुरा में एयर स्ट्रीप का निर्माण 35 साल पहले वर्ष 1989-90 में हुआ था। मौजूदा समय में वीआइपी विजिट के दौरान यहीं पर हेलीकॉप्टर लैंड होते हैं। दो बार झाबुआ दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेलीकॉप्टर से यहीं उतरे थे।
एविएशन ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने की योजना विफल
गोपालपुरा में एविएशन ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने की योजना थी। इसके लिए वर्ष 2006-07 में एयरोस्पेस एकेडमी आफ सेंट्रल इंडिया और राज्य शासन के बीच करार भी हुआ था। इसके तहत एयर स्ट्रीप को 10 साल के लिए लीज पर दिया था। हालांकि बात आगे नहीं बढ़ सकी और बाद में अनुबंध भी रद्द हो गया।
एयर स्ट्रीप के विस्तारीकरण का प्रस्ताव भेजा है
झाबुआ लोक निर्माण विभाग के ईई आरिफ मोहम्मद गौरी का कहना है कि, झाबुआ के गोपालपुरा में स्थित एयर स्ट्रीप के विस्तारीकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा है। उज्जैन सिंहस्थ को देखते हुए जल्द ही प्रस्ताव मंजूर होने की उम्मीद है। जिले के विकास और पर्यटन दोनों ही दृष्टि से ये बेहतर होगा।