scriptनई शिक्षा नीति: दस माह में छह माह परीक्षाएं, फिर कैसे होगी पढ़ाई | कॉलेज शिक्षा का ढर्रा बिगड़ गया | Patrika News
झालावाड़

नई शिक्षा नीति: दस माह में छह माह परीक्षाएं, फिर कैसे होगी पढ़ाई

झालावाड़. कॉलेज शिक्षा में पिछले साल से लागू की गई नई शिक्षा नीति की पालना में राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों में आपसी तालमेल नहीं होने से शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतर रही है। न तो समय पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो रही है और न ही परीक्षाएं। ऐसे में शिक्षण व्यवस्था सुधरने […]

झालावाड़Nov 21, 2024 / 11:25 am

harisingh gurjar

झालावाड़. कॉलेज शिक्षा में पिछले साल से लागू की गई नई शिक्षा नीति की पालना में राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों में आपसी तालमेल नहीं होने से शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतर रही है। न तो समय पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो रही है और न ही परीक्षाएं। ऐसे में शिक्षण व्यवस्था सुधरने की बजाए बिगड़ रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को जहां वर्तमान में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई करानी थी। वहां आधा सत्र बीतने के बावजूद प्रथम वर्ष के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं हो रही हैं। यही नहीं, इस वर्ष प्रथम वर्ष में प्रवेश देने की प्रक्रिया अब भी चल रही है। इसी तरह एमए पूर्वार्द्ध में भी प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। इसकी वजह स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं समय पर नहीं होने के कारण परिणाम समय पर जारी नहीं हो सका और परिणाम देरी से जारी होने के कारण एमए में प्रवेश प्रक्रिया अब भी चल रही है। नई शिक्षा नीति में सेमेस्टर व्यवस्था लागू की गई है। जिसमें दो सेमेस्टर के लिए साल में दो बार परीक्षाएं होती हैं। पहले सेमेस्टर की दिसंबर में और दूसरे सेमेस्टर की जून में। लेकिन, हो यह रहा है कि जून में होने वाली द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं नवबर में हो रही हैं। वहीं दूसरी तरफ शिक्षण कार्य के लिए 10 महीने मिलते हैं। जिनमें छह माह तो परीक्षाएं हो रही हैं। शेष बचे चार माह में लगभग एक माह छुट्टियां आ जाती हैं। जबकि प्रति सेमेस्टर तीन माह यानी 90 शिक्षण दिवस होना अनिवार्य है। ऐसे में तीन माह में 180 दिन शिक्षण दिवस कैसे होंगे। यह तो सरकार ही बता सकती है।
बिगड़ गया कॉलेज शिक्षा का ढर्रा

सरकार ने जब से नई शिक्षा नीति लागू की है। तब से कॉलेज शिक्षा का ढर्रा बिगड़ गया है। न तो समय पर प्रवेश हो पाते हैं और न ही परीक्षाएं। कॉलेजों में 10 माह में से छह माह तो परीक्षाएं हो रही हैं। ऐसे में शिक्षण कार्य कब होगा। यह सोचने वाला विषय है। अगले माह प्रथम वर्ष के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा होनी है। पिछले साल जिन्होंने प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था, उनके द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं अब हो रही है, जो जून माह में होनी थी।
दिन रिक्तसीटों पर मांग रहे आवेदन

सरकारी कॉलेजों में प्रथम वर्ष में खाली रही सीटों पर प्रवेश के लिए कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने अब ऑफ लाइन आवेदन मांगे हैं। इससे एक ओर जहां नवंबर का दूसरा सप्ताह प्रवेश में ही बीत गया, वहीं आने वाले दिनों में अध्ययन के साथ प्रेक्टिकल वर्क और फिर एनईपी के अनुसार इंटरनल परीक्षाएं होने के बाद दिसबर में पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं भी करवानी हैं। जो विद्यार्थियों के साथ कॉलेज प्रबंधन के लिए भी बड़ी चुनौती होगी। गौरतलब है कि कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय के निर्देश पर 6 से 11 नवबर तक प्रथम वर्ष की रिक्त सीटों पर ऑफलाइन आवेदन मांगे गए । इसके बाद दो दिन में दस्तावेज सत्यापन और शुल्क जमा कराने को मिले उसके बाद 14 नवबर को प्रवेशित विद्यार्थियों की सूची जारी की गई है। ऐसे में अभी तक कॉलेजों में प्रवेश ही चल रहे हैं।
जिलेभर में करीब 25 हजार से विद्यार्थी कॉलेज परीक्षाएं देते हैं। जिनमें सबसे ज्यादा परेशानी स्वयंपाठी विद्यार्थियों को होती है, उन्हे सेमेस्टर व परीक्षा का पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में कई विद्यार्थी तो परीक्षा से वंचित हो जाते हैं।
स्नातक प्रथम वर्ष प्रवेश प्रक्रिया

प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ: 7 जून

अंतिम प्रवेश तिथि: 14 नवंबर थी

सेमेस्टर के लिए जरूरी शिक्षण कार्य: 90 दिन

प्रवेश प्रक्रिया में बीता समय: 170
नई शिक्षा नीति में कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कॉलेज शिक्षा का पूरा ढर्रा ही बिगड़ गया है। न तो समय पर प्रवेश हो पाते हैं और न ही परीक्षाएं। कॉलेज में 10 महीने में से छह महीने तो परीक्षाएं हो रही हैं, ऐसे में पढ़ाई तो हो ही नहीं पा रही है। अगले महीने प्रथम वर्ष के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा होनी है,पिछले साल जिन्होंने प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था, उनके द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं अब हो रही हैं, जो जून माह में होनी थी। पूरा सिस्टम बिगड़ा हुआ है। या तो समय पर परीक्षाएं हो या पुरानी व्यवस्था सही थी।
रूक्मणी पाटीदार, कॉलेज छात्रा।

नई शिक्षा नीति जो सरकार ने लागू की है इसकी अपेक्षा पुरानी शिक्षा नीति ही अच्छी थी । क्योंकि नई शिक्षा नीति में कई समस्या है जैसी कि विश्वविद्यालय से समय पर रिजल्ट नहीं आ रहा है। रिजल्ट आने से पहले ही परीक्षा फॉर्म भरा जाते है । फॉर्म भरते ही असाइमेंट जमा होना चालू हो जाते है। कभी इंटरनल एग्जाम चालू हो जाते है इस तरह पूरा साल ही बर्बाद हो जाता है नई शिक्षा नीति की वजह से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। कभी परीक्षा फार्म तो कभी अगले समेस्टर में एडमिशन फार्म भरे जा रहे हैं।
सागर कहार, कॉलेज छात्र

ये आयुक्तालय स्तर का मामला नहीं है। सरकार ने तो नई शिक्षा नीति को एडोप्ट कर लिया है। लेकिन परीक्षाएं करवाने का काम विश्व विद्यालयों का है। इसमें कोटा विवि काफी पीछे चल रहा है। तीन दिन पहले बात हुई थी। उन्हे परीक्षाएं समय पर करवाने के लिए कहा है। वो एक परीक्षा ओएमआर से करवाने पर विचार कर रहे ताकि अन्य विवि के साथ चल सके।
गीताराम शर्मा, क्षेत्रीय सहायक निदेशक, कॉलेज आयुक्तालय, कोटा।

Hindi News / Jhalawar / नई शिक्षा नीति: दस माह में छह माह परीक्षाएं, फिर कैसे होगी पढ़ाई

ट्रेंडिंग वीडियो