बीज अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई-
अगर कोई दुकानदार ऐसा करते पाया गया तो उसके खिलाफ बीज अधिनियम 1966, बीज नियम 1968 और बीज नियंत्रण आदेश 1983 के तहत सख्त कार्रवाई होगी। यह कदम किसानों को नकली बीजों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है।
डीएपी खाद के असली होने की पहचान-
नकली खाद बनाने की फैक्टरियों का खुलासा होने के बाद किसान खाद की गुणवत्ता को लेकर परेशान हैं। कृषि विभाग ने किसानों से असली डीएपी खाद की पहचान के नुस्खे बताए है। कृषि अधिकारी रामकुंवर वर्मा ने बताया कि किसान डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलने पर यदि उसमे से तेज गंध निकले जिसे सूंघना मुश्किल हो जाए तो समझे कि यह डीएपी असली है। असली डीएपी के दाने कठोर, भूरे, काले और बादामी रंग के होते है और नाख़ून से आसानी से नहीं टूटते है।
अब उद्यान विभाग के अधिकारी भी करेंगे जांच-
प्रदेश में नकली खाद, बीज एवं कीटनाशकों की बढ़ती बिक्री पर नकेल कसने के लिए अब सरकार ने उद्यान विभाग के अधिकारियों को जांच के अधिकार दिए हैं। इसके चलते उद्यान विभाग के चारों अधिकारियों को जांच के अधिकारी दिए है। जो निचले स्तर पर खाद-बीज पर निगरानी रखेंगे।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए दी शक्तियां-
पूर्व में केवल कृषि विभाग एवं आत्मा विभाग के अधिकारियों के पास ही उर्वरक एवं कीटनाशक फैक्ट्रियों, विक्रेताओं की जांच करना, नमूना लेने एवं कार्रवाई करने की शक्तियां थीं। लेकिन प्रदेश में चल रही वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने गजट जारी करते हुए प्रदेश में उद्यान विभाग के उपनिदेशक, सहायक निदेशक एवं कृषि अधिकारी स्तर के अधिकारियों को भी उर्वरक,कीट एवं बीज निरीक्षक की शक्तियां प्रदान कर अधिक से अधिक नकली बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक विक्रेताओं एवं फैक्ट्रियों की जांच कर कार्रवाई करने एवं नमूना आहरण करने के अधिकार दिए हैं।
अब उद्यान विभाग भी करेगा जांच-
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अब उद्यान विभाग के अधिकारियों को भी खाद-बीज व कीटनाशक विक्रेताओं एवं फैक्ट्रियों की जांच करने के अधिकारी दिए गए है।जिले में अब कृषि विभाग के साथ ही उद्यान विभाग के चार अधिकारी भी जांच करेंगे।
केसी मीणा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, झालावाड़।