scriptRamayana Controversy: रामायण नहीं, सम्राट अशोक पर बोलिए – मंच से उतरे मंत्री हरगोविंद कुशवाहा | Speak on Emperor Ashoka, Not Ramayana’: Minister Hargovind Kushwaha Walks Off Stage Amid Protest | Patrika News
झांसी

Ramayana Controversy: रामायण नहीं, सम्राट अशोक पर बोलिए – मंच से उतरे मंत्री हरगोविंद कुशवाहा

Ramayana Political Controversy Jhansi: रामायण नहीं, सम्राट अशोक पर बोलिए’: झांसी में मंत्री हरगोविंद कुशवाहा से मंच पर हुआ टकराव,जिससे नाराज होकर छोड़ा कार्यक्रम। आइए जानते हैं फिर आगे क्या हुआ …

झांसीApr 07, 2025 / 03:03 pm

Ritesh Singh

सम्राट अशोक जयंती समारोह में पहुंचे मंत्री ने जैसे ही रामायण की चौपाई पढ़नी शुरू की, युवक ने किया विरोध

सम्राट अशोक जयंती समारोह में पहुंचे मंत्री ने जैसे ही रामायण की चौपाई पढ़नी शुरू की, युवक ने किया विरोध

Ramayana Political Controversy: 5 अप्रैल को झांसी जिले के बंगरा ब्लॉक स्थित मगरवारा गांव में आयोजित सम्राट अशोक जन्मोत्सव समारोह के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा के साथ अप्रत्याशित विवाद हो गया। जब उन्होंने मंच से रामायण पर चर्चा शुरू की, तो वहां मौजूद कुछ युवकों ने उन्हें रोकते हुए कहा कि उन्हें सम्राट अशोक पर बोलना चाहिए, न कि दशरथ और रामायण पर। इस विवाद से नाराज होकर मंत्री मंच छोड़कर कार्यक्रम से चले गए।
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सम्राट अशोक की संतान हैं, लव-कुश की नहीं!

कार्यक्रम का वीडियो रविवार शाम सोशल मीडिया पर सामने आया। वीडियो में दिख रहा है कि हरगोविंद कुशवाहा जैसे ही रामायण की चौपाई पढ़नी शुरू करते हैं, तभी एक युवक हस्तक्षेप करता है और कहता है, “मंत्री जी, सम्राट अशोक पर बोलिए। आज रामायण का कुछ काम नहीं है।” हरगोविंद कुशवाहा ने जब जवाब दिया कि “मैं क्या बोलूंगा, ये आपसे पूछकर नहीं बोलूंगा,” तब युवक ने उन्हें यह कहकर रोकने की कोशिश की कि वो “समय बर्बाद कर रहे हैं।” इसके बाद माहौल गर्मा गया।
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समाज में विभाजन की झलक

युवक ने आगे कहा,“हम लव-कुश की नहीं, सम्राट अशोक की संतान हैं। दशरथजी से हमें कुछ मतलब नहीं है।”इस पर मंत्री ने कहा कि लव-कुश राम के पुत्र थे और रामायण की परंपरा ही भारतीय संस्कृति की नींव रही है। उन्होंने सम्राट अशोक को भी सम्मान देते हुए कहा कि वह बाद में हुए, लेकिन युवक ने इसे भी नकार दिया।

राजनीतिक नाराजगी या वैचारिक संघर्ष

हरगोविंद कुशवाहा ने मंच से स्पष्ट कहा कि “यदि कोई राजनीति प्रेरित होकर विरोध कर रहा है, तो करता रहे। मैं उनको धन्यवाद देता हूं कि आज समाज में एक ऐसी चर्चा शुरू हुई, जिसकी लोगों को जानकारी होनी चाहिए।”
मंत्री ने कहा कि यदि रामायण की चौपाइयां सुनना किसी को आपत्ति जनक लगती हैं, तो वे कुछ नहीं कर सकते। लेकिन वे इस विवाद में और कुछ नहीं कहना चाहते और मंच से उतर गए।
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हरगोविंद कुशवाहा का राजनैतिक सफर

राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा बुंदेलखंड की राजनीति के पुराने और प्रभावशाली चेहरे हैं। उन्होंने 1969 में चौधरी चरण सिंह से प्रभावित होकर राजनीति में प्रवेश किया था। समाजवादी पार्टी में रहे, मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे। झांसी लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। एक बार मध्य प्रदेश की सीमा से सटे विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।

भाजपा में वापसी और संघर्ष

वर्षों तक बसपा में सक्रिय रहने के बाद, कुशवाहा भाजपा में शामिल हुए। चुनाव हारने के बाद उन पर हमला भी हुआ था, जिससे शरीर पर गंभीर चोटें आई थीं। वे बुंदेलखंड की लोक संस्कृति के जानकार, गीत-संगीत और परंपराओं में गहरी पकड़ रखने वाले नेता माने जाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने सम्राट अशोक के जन्मोत्सव कार्यक्रम में भी रामायण का प्रसंग जोड़ने का प्रयास किया।
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सम्राट अशोक बनाम रामायण – नई विचारधारा की लड़ाई

कार्यक्रम में हुए इस टकराव को कुछ लोग ब्राह्मणवादी बनाम बहुजन वैचारिक टकराव की नजर से भी देख रहे हैं। सम्राट अशोक, बौद्ध धर्म के अनुयायी और सामाजिक समरसता के प्रतीक माने जाते हैं। वहीं रामायण को कुछ वर्ग दमनकारी प्रतीक के तौर पर भी देखते हैं। यह टकराव दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर विचारधाराओं का संघर्ष तेज हो रहा है।
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वायरल वीडियो से सोशल मीडिया पर हंगामा

सोशल मीडिया पर यह वीडियो सामने आने के बाद यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों ने मंत्री के भाषण को रोकना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया, तो कुछ ने कहा कि समारोह की थीम का सम्मान होना चाहिए था।

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