राजस्थान की जोधपुर रेंज पुलिस ने एक और बड़ी सफलता हासिल करते हुए ऑपरेशन छविश्राम के तहत 35 हजार रुपए के इनामी मादक पदार्थ तस्कर रूपाराम को गिरफ्तार किया है। रूपाराम लंबे समय से पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए मादक पदार्थों की तस्करी कर रहा था। वह आठ साल से फरार था।
चारों तरफ पुलिस से घिरे होने के कारण वह होली पर गांव नहीं आया, लेकिन इसके बाद रहा नहीं गया और अपने परिचित गुर्गाें के साथ कार की पीछे की सीट पर बैठकर बीमार बनकर गांव में दाखिल होने लगी। कार में बैठे उसके परिचित गुर्गे पुलिस के भी मुखबिर थे। आखिर रूपाराम 8 साल बाद पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
गाड़ी में बीमार होने का नाटक
रूपाराम ने पुलिस से बचने के लिए एक शातिर योजना बनाई। उसने अपने गांव से इन्दौर महाकाल दर्शन के लिए दो चेलों को बुलाया और गाड़ी में पिछली सीट पर बीमार बनकर लेट गया, ताकि पुलिस का शक उस पर न हो। हालांकि, पुलिस को मुखबिरी मिली और सटीक सूचना के बाद साइक्लोनर टीम ने उसे पाली जिले के एक नाके पर घेर लिया।
रूपाराम ने जब भागने की कोशिश की, तो वह घिर गया और अंततः समर्पण कर दिया। वह 15 साल से मादक पदार्थों की तस्करी कर रहा है। चित्तौड़गढ़, पाली, भीलवाड़ा सहित अन्य जिलों में आधा दर्जन मामले दर्ज। पाली जिला पुलिस ने उस पर 25,000 रुपए और भीलवाड़ा ने 10,000 रुपए का इनाम घोषित कर रखा है।
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दो बार जेल की हवा
पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि रूपाराम पुत्र खींयाराम जोधपुर के सामराऊ गांव का निवासी है। आठ साल फरारी के दौरान उसने कई जिलों में मादक पदार्थों की तस्करी की थी और उसके खिलाफ आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे। वह 15 साल से मादक पदार्थों की तस्करी में सक्रिय था और दो बार जेल भी जा चुका था। उसने चित्तौड़, मध्यप्रदेश जैसे स्थानों से तस्करी की बड़ी खेपों की आपूर्ति की थी।
वह दसवीं पास है और जल्द अमीर बनने के चक्कर में इस काम में आया। इससे पहले उसने खेती, ठेकेदारी और अन्य कामों में हाथ आजमाया, लेकिन जब उसे मेहनत से कमाई गई रकम में संतुष्टि नहीं मिली, तो उसने मादक पदार्थों की तस्करी का धंधा शुरू किया। इस कार्रवाई में कांस्टेबल अशोक परिहार, अशोक कुमार और जोगाराम का विशेष योगदान रहा।