CG News: कांकेर जिले में खुद 50 से ज्यादा पद खाली
मंच ने ज्ञापन के माध्यम से बस्तर संभाग में युक्तियुक्तकरण प्रक्त्रिस्या की विसंगतियों पर चिंता जाहिर की और जरूरी सुझाव भी दिए। शिक्षक साझा मंच के पदाधिकारी हेमेंद्र साहसी, स्वदेश शुक्ला और नंदकुमार अटभैया ने कहा कि 1998 में बस्तर के दुर्गम इलाकों में स्थानीय युवाओं को शिक्षाकर्मी के रूप में भर्ती किया गया था। इन युवाओं ने तब से लेकर आज तक ऐसे क्षेत्रों में शिक्षा की मशाल जलाई है, जहां कोई जाना नहीं चाहता था। आज जब कांकेर जिले में खुद 50 से ज्यादा पद खाली हैं। तब जिले के 78 से अधिक शिक्षकों और 29 व्यायाताओं को एकतरफा आदेश से अन्य जिलों में भेजना शिक्षा व्यवस्था को और बिगाड़ सकता है। मंच ने बताया कि 2023 और 2025 में राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश से सहायक शिक्षक और उच्च वर्ग शिक्षकों की भर्ती की। इनमें से 2600 सहायक शिक्षक और 3200 उच्च वर्ग शिक्षक बस्तर और सरगुजा संभाग में नियुक्त किए गए।
इन शिक्षकों को उन स्कूलों में पदस्थ किया गया, जहां पहले से स्थानीय शिक्षक कार्यरत थे। नए शिक्षकों को अतिशेष की गणना में नहीं रखा गया, जिससे पुराने स्थानीय शिक्षक जबरन अतिशेष घोषित होकर बाहर किए जा रहे हैं। मंच ने कहा कि यह केवल शिक्षकों का नहीं, बल्कि छात्रों और पालकों का भी मुद्दा है। ग्रामीण इलाकों में स्थानीय शिक्षकों ने बनाया है, वह इस युक्तियुक्तकरण से टूट जाएगा। साझा मंच का कहना है कि ये नव नियुक्त शिक्षक प्रशिक्षण (परीवीक्षा) अवधि पूरी होने के बाद अपने गृह जिलों में ट्रांसफर ले लेंगे।
अतिथि शिक्षकों को गणना से पृथक रखा जाए
CG News: ऐसे में जो स्थानीय शिक्षक अभी हटाए जा रहे हैं, उनके स्थान पर नियुक्त नए शिक्षक भी कुछ ही समय में चले जाएंगे। इससे बस्तर के बीहड़ों में शिक्षा पूरी तरह चरमरा जाएगी। मंच ने चेताया कि जिन स्कूलों में पहले से दो शिक्षक थे, वहां से अब एक शिक्षक भेजे जाने के बाद केवल एक ही शिक्षक बचेगा। 20 पीरियड की कक्षाएं एक शिक्षक के लिए सभव नहीं हैं। इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा।
मंच ने सांसद को कुछ व्यावहारिक सुझाव भी दिए। इसके मुताबिक शिक्षकों को चिन्हित कर परिवीक्षा अवधि पूरी होने पर रिक्त स्कूलों में समायोजित किया जाए। 2014 के नियम अनुसार इस सत्र में
सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक, गंभीर बीमारी वाले, पति-पत्नी केस, अन्य जिलों से स्थानांतरित शिक्षक, संकुल समन्वयक, शिक्षक संघों के पदाधिकारी और अतिथि शिक्षकों को गणना से पृथक रखा जाए।
बालोद, बस्तर जैसे नजदीकी जिलों में ही शिक्षकों का समायोजन हो, न कि सुदूर जिलों में। सांसद ने मंच के सुझावों को गंभीरता से सुना। उन्हें आश्वासन दिया कि इन मुद्दों को शासन के समक्ष रखेंगे। जो भी निर्णय होगा, वह बस्तर के बच्चों और शिक्षकों के हित में होगा।