कटनी. प्री-मानसून की पहली ही बारिश से कटनी रेलवे स्टेशन में करोड़ों की लागत से अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कराया गया ‘मेकअप’ भ्रष्टाचार की परवानियों के कारण धुल गया है। सर्कुलेटिंग एरिया की नवनिर्मित सडक़ें तालाब में ताल-तलैया में तब्दील हो गईं। घटिया निर्माण का नमूना यहीं नहीं थमा, बल्कि जहां पर टिकट काउंटर बनाया गया है वहां पर एयरपोर्ट की तर्ज पर पोर्च बनाया गया है, यहां पर पूरे परिसर में पानी भरा गया। नवनिर्मित पोर्च में जगह-जगह पानी टकपता रहा, जिसके कारण कई यात्री चिकने फर्श के कारण फिसलकर गिरते रहे। पत्रिका टीम ने पहली बारिश में स्टेशन के इंतजामों का जायजा लिया तो ठेकेदार की कारगुजारी खुलकर सामने आई। जानकारी के अनुसार शहर के तीनों प्रमुख रेलवे स्टेशनों कटनी जंक्शन, मुड़वारा, साउथ में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकास कार्य कराए जा रहे हैं। कटनी रेलवे स्टेशन में करीब साढ़े बारह करोड़ की लागत से स्टेशन के फसाड एरिया का सौंदर्यीकरण, नये पोर्च का निर्माण करने के अलावा सर्कुलेटिंग एरिया का सौंदर्यीकरण कराया गया है। रविवार शाम करीब 7 बजे हुई बारिश के कारण रेलवे द्वारा कराए गए इन सभी कार्यों की पोल खुलकर सामने आ गई। स्टेशन के अंदर भी बारिश के पानी की टीनशेड के नीचे प्लेटफार्म पर धार लगी रही। यात्रियों के बैठने के लिए बनी कुर्सियों पर बारिश का पानी टपकता रहा। उल्लेखनीय है कि स्टेशन में कराए जा रहे निर्माण का पत्रिका द्वारा लगातार खामियों को उजागर किया गया, लेकिन अधिकारी नजरअंदाज करते रहे। निर्माण कार्य का निरीक्षण स्थानीय अफसरों से लेकर डीआरएम कार्यालय के असफरों ने गुणवत्ता की नब्ज टटोली, लेकिन किसी ने भी ना तो खामी पकड़ी और ना ही कार्रवाई की। अब जब बारिश हुई तो कलई खुलकर सामने आ गई है।
अनारक्षित टिकट काउंटर के सामने रेलवे द्वारा नया पोर्च बनाया गया है। टिकट काउंटर को भी नया लुक दिया गया है लेकिन बारिश में टिकट काउंटर की छत से भारी पानी टपकता रहा और यह पानी फर्श पर जमा हो गया। काउंटर के अंदर पानी भरे होने के बीच रेलवे कर्मचारी टिकटों की बिक्री करते नजर आए। इस दौरान यहां लगी मशीनरी व इलेक्ट्रिक सामान पर भी पानी टपकता रहा। अपनी जान जोखिम में डालकर कुर्सियों के ऊपर पैर बचाकर खुद को करंट से बचाने में कर्मचारी जुटे रहे।
नवनिर्मित पोर्च का हुआ बुरा हाल
स्टेशन के बाहर प्लेटफार्म क्रमांक 2 की तरफ रेलवे द्वारा पोर्च का विस्तार किया गया है। इसके लिए पुराने पोर्च को तोडकर अब करीब 40 फीट ऊंचा नहीं पोर्च बनाया गया है। बारिश का पानी इन पोर्च में भी टपकता रहा। सैकड़ों की संख्या में यात्री फिसलन भरे पोर्च से होकर गुजरते रहे तो कई यात्री यहां चिकना पत्थर होने के कारण फिसलकर गिरे। टिकट काउंटर के बाहर टपक रहा बारिश का पानी पोर्च में बहता नजर आया।
सर्कुलेटिंग एरिया में रेलवे द्वारा सौंदर्यीकरण करते हुए नई सडक़ों का निर्माण किया गया है और डिवाइडर बनाए गए है। बारिश के पानी की निकासी के इंतजाम न होने के कारण बरही रोड की तरफ के प्रवेश द्वार के लिए बनी दोनों ओर की सडक़ पर पानी जमा हो गया, जिसके कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई यात्री दूसरी तरफ से आवागमन कर स्टेशन पहुंचे।
पहली बारिश से तरबतर हुआ शहर
रविवार को दिनभर तेज धूप और भीषण गर्मी के बाद देरशाम आसमान में बादलों ने डेरा डाल दिया। गरज चमक के साथ प्री-मानसून ने दस्तक दी और करीब दो घंटे तक हुई बारिश ने शहर को तरबतर कर दिया। लंबे अर्से से बारिश का इंतजार कर रहे शहरवासियों को गर्मी से राहत मिली। उमरियापान, ढीमरखेड़ा, बरही व स्लीमनाबाद क्षेत्र में भी जोरदार बारिश हुई, जिसके चलते सडक़ों पर पानी जमा हो गया।
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