scriptCG Election 2025: नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब पंचायत चुनाव की बारी, बनने लगा माहौल | After the urban body elections, now it is the turn of Panchayat elections | Patrika News
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CG Election 2025: नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब पंचायत चुनाव की बारी, बनने लगा माहौल

CG Election 2025: त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव लोहारा व कवर्धा जनपद पंचायत में पहले चरण पर होना है। याने 17 फरवरी को है। जिसके लिए गिनती का समय बच गया है।

कवर्धाFeb 13, 2025 / 03:04 pm

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CG Election 2025: नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब पंचायत चुनाव की बारी, बनने लगा माहौल
CG Election 2025: नगरीय निकाय चुनाव का घमाशान अब खत्म हो गया है। परिणाम का इंतजार है, इस बीच नेताओं को पंचायत चुनाव के लिए समय मिल गया है। वे अब पंचायत के पंच, सरपंच, जनपद व जिला पंचायत के चुनाव में जुट गए हैं। प्रचार-प्रसार पहले की तुलना में दोगुना तेज गति से चलने लगा है। जहां क्षेत्र बड़ा होने के चलते हर पद के हिसाब से प्रत्याशी व नेता मेहनत कर रहे है।
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जिले में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव लोहारा व कवर्धा जनपद पंचायत में पहले चरण पर होना है। याने 17 फरवरी को है। जिसके लिए गिनती का समय बच गया है। दोनों जनपद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पंचायत, जनपद व जिला पंचायत क्षेत्र के लिए चुनाव होना है। जिनके अंतर्गत आने वाले पंच से लेकर जिला पंचायत सदस्य तक के प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पंच अपने वार्ड में तरक्की व विकास के लिए बात कर रहे हैं।
वायदे किए जा रहे हैं, जिस पद का प्रत्याशी वह अपने क्षेत्र के हिसाब से बेहतर करने की बात जनता के बीच जाकर कर रहा है। एक वार्ड में कई पंच के लिए प्रत्याशी है, जो अपने को बेहतर बता रहे हैं, जबकि गांव में पंचायत चुनाव के दौरान एक-एक छोटी-बड़ी बातों को लेकर मतदान किया जाता है। यहां तक की कोई ठीक से बात नहीं करता, मिलता नहीं दुआ सलाम नहीं करता है,इसे लेकर नाराज हो जाते है। जिसका बदला चुनाव के दौरान वोट न देकर निकाला जाता है।
ऐसे ही दूसरे चरण में पंडरिया व बोड़ला ब्लाक के जिला, जनपद, सरपंच व पंच के लिए चुनाव होना है। 20 फरवरी को मतदान होगा, जिसके लिए प्रचार-प्रसार चल रहा है। दोनों ही ब्लाक बैगा-आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक है। जहां की समस्या आज भी पहाड़ की तरह खड़ी है। दुरस्त के पंचायतों में तो आज भी मूलभूत सुविधा नहीं मिल पा रही है। बैगा परिवार झिरिया, नाले का पानी पीने को मजबूर है। रहने को घर नहीं है, चलने को सड़क नहीं है, काम व रोजगार कमी है।
शिक्षा व जागरूकता का अभाव है, लाख प्रयासों के बाद भी कुछ क्षेत्र समाज की मुख्यधारा में नहीं जुड़ पाए हैं। ये सभी मुद्दे हर चुनाव में सामने आते है,लेकिन चुनाव जीतने तक ही सीमित रह जाता है। उसके प्रत्याशी भूल जाता है, कुछ समय बाद जनता भी भूल जाती है। क्योंकि पांच साल तक उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता है। अब जनता अपना प्रत्याशी चाहे व पंच हो, सरपंच हो, जनपद हो या जिला पंचायत सदस्य हो, सोच समझकर चुने।

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