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प्राइवेट स्कूल की Fees में आया उछाल! 10 से 15 फीसदी तक की हुई बढ़ोतरी, माता-पिता परेशान…

CG Private School Fees: कवर्धा जिले के निजी स्कूल में संचालकों की मनमानी शुरू हो चुकी है। अधिकतर बड़े निजी स्कूल में 10 से 15 फीसदी तक की फीस में बढ़ोतरी की जा चुकी है।

कवर्धाApr 12, 2025 / 11:49 am

Shradha Jaiswal

प्राइवेट स्कूल की Fees में आया उछाल! 10 से 15 फीसदी तक की हुई बढ़ोतरी, माता-पिता परेशान...
CG School Fees Hike: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के निजी स्कूल में संचालकों की मनमानी शुरू हो चुकी है। अधिकतर बड़े निजी स्कूल में 10 से 15 फीसदी तक की फीस में बढ़ोतरी की जा चुकी है। इससे पालक परेशान हैं। इसके लिए पालकों से सलाह ली गई और न ही जनभागीदारी समिति में बात रखी गई। इसके चलते कई स्कूल से पालक अपने बच्चों को निकालने का मन बना लिए हैं।
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CG School Fees Hike: तरह-तरह से वसूल रहे फीस

जिले में 187 निजी स्कूल में संचालित हैं। इसमें से गिनती के स्कूल ही मानक स्तर पर खरा उतरते हैं। बावजूद अधिकतर स्कूल में फीस मनमाना वसूला जाता है। इस वर्ष ही कुछ बड़े और नामी निजी स्कूल में फीस में बेतहाशा वृद्धि कर दी गई है। इससे पालक बेहद परेशान हैं। एक स्कूल में तो नर्सरी की फीस ही 32 हजार रुपए है। वहीं अन्य कक्षाओं की फीस में 10-15 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।
महंगाई के चलते कुछ प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है, इससे ही स्कूल बेहतर ढंग से संचालित होता है। लेकिन एकाएक 15 फीसदी की बढ़ोतरी सीधे-सीधे पालकों के जेब पर डाका डालने के समान है। इसमें मुख्य परेशानी मध्यम वर्गीय परिवार को होती है। जैसे-तैसे वह अपने बच्चों को बड़े स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन बेतहाशा फीस के आगे वह कमजोर हो जाते हैं।

पालकों से राय ली जा रही जनभागीदारी में बात

जिले के प्रत्येक निजी स्कूल में अलग-अलग फीस लिए जाते हैं। फीस को लेकर पालकाें से सलाह तक नहीं ली जाती। केवल बैठक लेकर बैठक पंजी में हस्ताक्षर ले लिया जाते हैं। बाद में मनमाना फीस का प्रस्ताव स्वयं तैयार कर दिया जाता है। फीस देते समय पालक भी हैरान परेशान रहते हैं आखिर उनसे फीस के संबंध में राय क्यों नहीं लिया गया। वहीं अन्य जिलों की यहां के निजी स्कूल में जिला प्रशासन की पकड़ नहीं है। इसके चलते ही मनमाफिक फीस ली जाती है।
निजी स्कूल में पालकों से कई तरह से फीस लिया जाता है। मतलब एक ही नाम से अलग-अलग शुल्क। इसमें पंजीयन शुल्क 1000, प्रवेश शुल्क 2 से 10 हजार, डेवलपमेंट फीस 2 से 7 हजार, खेलकूद व अन्य गतिविधियों के लिए 2 से 10 हजार रुपए लिए जाते हैं। इसके अलावा मेस के लिए 2 से 10 हजार रुपए, बस किराया 10 हजार रुपए से शुरु, ड्रेस 2 से 3 हजार और किताबों के नाम पर 4 से 6 हजार रुपए खर्च होते हैं। हद तो तब हो जाती है जब स्कूल में ट्यूशन और डेवलपमेंट के नाम पर फीस लेते हैं।

विकास के नाम पर काट रहे जेब

प्रत्येक स्कूल में हर बच्चे को समान रूप से खेलकूद में भाग लेने का अधिकार है। वहीं अन्य किसी प्रकार की गतिविधियों में भाग लेना चाहते हैं उसके लिए उनसे अतिरिक्त राशि नहीं ली जा सकती है। प्रवेश के समय पालकों से खेलकूद और अन्य गतिविधि के लिए राशि ली चुकी होती है। निजी स्कूल में जो डेवलपमेंट व स्पोर्ट्स के नाम पर फीस लिए जाते हैं वह अतिरिक्त राशि है।

पंजीयन और प्रवेश शुल्क अलग

जिले के कई बड़े निजी स्कूल की मनमानी इतनी अधिक हावी है कि किसी न किसी तरह से पालकों को चपत लगाने पर ही तुले होते हैं। स्कूल में नाम दर्ज कराने के लिए फीस देनी पड़ेगी और प्रवेश के लिए भी। नर्सरी में रजिस्ट्रेशन के लिए हजार रुपए तक वसूल लिया जाता है। इसके अलावा एडमिशन फीस दो से तीन हजार रुपए लिए जाते हैं। और यदि दो दिन देर हो जाए तो फीस तीन से सीधे पांच हजार पहुंच जाती है।

किताबों के नाम पर भी लूट रहे

पालक जहां एक ओर मनमाने फीस से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर किताबों की कीमत से भी उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। शासन के आदेश अनुसार छोटी कक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई कराया जाना है लेकिन यहां पर मानमाने रुप से निजी प्रकाशकों के किताब से पढ़ाई कराई जाती है। क्योंकि इसकी कीमत अधिक होती है जिसका कमीशन निजी स्कूल को मिलता है।

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