मामला 1
करीब चार साल पहले भावसिंगपुरा स्थित सोलर प्लांट के लिए अधिकारियों ने शिवना निवासी छिंदई बाई पति बाबू से खसरा नंबर 85/1/1, 82/2/1, रकबा 1.10 और 0.17 हेक्टेयर, कुल 1.27 हेक्टेयर सिंचित भूमि ली। बदले में छिंदई बाई को 25 लाख रुपये और 5 एकड़ सिंचित भूमि दूसरी जगह देने का लालच देकर सहमति पत्र पर अंगूठा लगवाया गया। उन्हें केवल 13.60 लाख रुपये दिए गए। बाकी 11.40 लाख रुपये और 5 एकड़ जमीन आज तक नहीं मिली। छिंदई बाई ने बताया कि उन्होंने कई बार कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं। मामला 2
शिवना निवासी भोलाराम तड़वी की भावसिंगपुरा स्थित खसरा नंबर 85/1/2, 82/2/2, कुल 1.28 हेक्टेयर सिंचित भूमि सोलर प्लांट ने ली। जमीन के दलालों ने 25 लाख रुपये और 5 एकड़ जमीन देने की बात कही थी। 23 लाख रुपये दलालों ने उनके खाते में डलवाए, लेकिन इसमें से 9 लाख रुपये वापस निकाल लिए। 11 माह बाद रजिस्ट्री कराने पर बाकी रुपये और जमीन देने की बात कही गई थी। भोलाराम ने बताया कि वह केवल हस्ताक्षर करना जानता है, उसे पढ़ना-लिखना नहीं आता। दलालों ने किन-किन कागजों पर हस्ताक्षर करवाए, उसे जानकारी नहीं। चार साल बाद भी उसे न तो बाकी रुपये मिले, न ही जमीन के बदले जमीन।
यह है नियम
आदिवासी द्वारा गैर-आदिवासी को जमीन बेचने के लिए कड़े नियम हैं। आदिवासी किसान के पास जीवनयापन के लिए कम से कम 5 एकड़ सिंचित जमीन या 10 एकड़ असिंचित जमीन होना अनिवार्य है। यदि कोई आदिवासी की जमीन खरीदता है, तो उसके बदले आदिवासी को 5 एकड़ सिंचित जमीन देना अनिवार्य है।