विश्व सिकल सेल पर विशेष : पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में मिल रही बीमारी, दर्द से कराह रहे चार हजार रोगी
आदिवासी बहुल क्षेत्र में सिकल सेल मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। जिले में अब तक 3.05 लाख की स्क्रीनिंग में 3587 केरियर, 414 डिसीज, फेफड़े, गुर्दे और लीवर खराब होने का खतरा
सिकल सेल का कहर : : 3.05 लाख की स्क्रीनिंग में 3587 केरियर, 414 डिसीज, फेफड़े, गुर्दे और लीवर खराब होने का खतरातीन पीढिय़ों से बीमारी विरासत में मिल रही आदिवासी बहुल इलाके में एक ऐसी बीमारी जो पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म ले रही हैं। जिंदगी खत्म होने के साथ भावी पीढ़ी को विरासत दे रही है। हम बात कर रहे हैं कि सिकल सेल की। यह अनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी की जंग चार हजार परिवार के रोगी लड़ रहे हैं। खालवा क्षेत्र के शालिक राम की जांच में सिकल सेल की पुष्टि हुई। हिस्ट्री में पता चला कि तीन पीढिय़ों से बीमारी विरासत में मिल रही है। सिकल सेल के नोडल डॉ हेमंत गर्ग ने बताया कि सिकल सेल अनुवांशिक बीमारी है।
3.05 लाख की स्क्रीनिंग, 3587 रोगी जिले में 3.05 लाख की स्क्रीनिंग की गई। इसमें सिकल सेल के 3587 रोगी केरियर श्रेणी यानी आंशिक बीमारी की चपेट मं है। 414 डिसीज श्रेणी यानी पूरी तरह से बीमारी की जंग लड़ रहे हैं। सिकल सेल के मरीजों के फेफड़े, हृदय, गुर्दे और लीवर अंगों के खराब होने का खतरा रहता है। मेडिकल काॅलेजअस्पतल में पांच दिवसीय विशेष शिविर में 300 से अधिक की जांच में पांच की रिपोर्ट पॉजिटिव है। विश्व सिकल सेल दिवस पर अस्पताल में विशेष शिविर लगाया गया है।
ऐसे समझें सिकल का विकार बीमारी माता-पिता से विरासत में मिलती है। रोग ( एससीडी ) एक आनुवंशिक विकार है जो हीमोग्लोबिन ( लाल रक्त कोशिकाओं में एक प्रोटीन जो ऑक्सीजन ले जाता है ) को प्रभावित करता है। एससीडी वाले लोगों में हीमोग्लोबिन असामान्य होता है। इससे लाल रक्त कोशिकाएं सिकल यानी हंसिए में बदल जाती हैं।
एक्सपर्ट व्यू, डॉ. हेमंत गर्ग, नोडल अधिकारी सिकल सेल अनुवांशिक बीमारी है। रोगी के लाल रक्त कोशिकाएं हंसिए के आकार में हो जाती है। अंग्रेजी में हंसिए को सिकल सेल कहते हैं। फेफड़े, हृदय, गुर्दे, लीवर आदि अंगों के खराब होने का खतरा रहता है। जोड़ों में सूजन या दर्द होना, पित्ताशय की पथरी, बार-बार बुखार या जुकाम होना, तिल्ली बढ़ना। लीवर पर सूजन आना, बच्चों का विकास न होना। प्रतिरोधक शक्ति घटने से दूसरी बीमारियों का आसानी से होना। आदि लक्षण हैं। एनीमिया के रोगी ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। प्रतिदिन फोलिक एसिड की एक गोली जरूर लें। एनीमिया को कम करेगी के साथ खून में नई लाल रक्त कोशिका बनेगी। उल्टी-दस्त, पसीने से ज्यादा पानी बाहर निकल जाता हो तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। शराब, धूम्रपान या अन्य चीजों का सेवन न करें।
विशेष शिविर में स्क्रीनिंग सीएमएचओ डॉ ओपी जुगतावत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल के ए-ब्लॉक में 19 जून विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर विशेष शिविर हुआ। प्रात : 11 जागरूकता में सिकल सेल के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। दवा वितरण के साथ परामर्श दिया जाएगा।
ये सामान्य लक्षण एनीमिया, लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण थकान, कमजोर, पीलापन। कोशिकाएं रक्त वाहिकाएं रुक सकती हैं। इससे दर्द होता है। एनीमिया वाले लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर बच्चों में। त्वचा, आंखों का पीला पड़ना। बच्चों के शारीरिक विकास में देरी हो सकती है। और हाथों और पैरों में सूजन
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