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कोलकाता

Political polarization in West Bengal, सबसे बड़ा फायदा तृणमूल को

पश्चिम बंगाल की राजनीति में पिछले पांच साल में व्यापक बदलाव आया है। राज्य में इन दिनों ध्रुवीकरण की राजनीति की बयार बह रही है। राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण (Political polarization in West Bengal) का फायदा भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (BJP and Trinamool Congress )दोनों को मिला है लेकिन, सबसे बड़ा फायदा तृणमूल कांग्रेस को मिला है।

कोलकाताFeb 17, 2025 / 04:10 pm

Rabindra Rai

Political polarization in West Bengal, सबसे बड़ा फायदा तृणमूल को

माकपा नेता मोहम्मद सलीम और सूर्यकांत मिश्रा

व्यापक मंथन के बाद माकपा का निष्कर्ष

अपनी आंतरिक रिपोर्ट में माकपा ( CPI(M) इस अहम निष्कर्ष पर पहुंची है। रिपोर्ट में पार्टी की चुनावी रणनीति की समीक्षा करते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने कहा है कि सभी स्तरों पर कार्यकर्ताओं को भाजपा का राजनीतिक और वैचारिक रूप से मुकाबला करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी पिछले एक दशक से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों से लड़ रही है। इस दौरान भाजपा का राजनीतिक और वैचारिक स्तर पर विरोध करना जरूरी है क्योंकि बड़ी संख्या में धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोग तृणमूल को भाजपा के खिलाफ प्रभावी विकल्प मानते हैं।
हालांकि, पश्चिम बंगाल में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं में इसे लेकर मतभेद हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि निश्चित रूप से राज्य में एक वर्ग तृणमूल को भाजपा के खिलाफ प्रभावी मानता है लेकिन, बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता भी हैं जो तृणमूल के विरोध में भाजपा को विकल्प मान रहे हैं। ऐसे में पार्टी को राज्य में दोनों पार्टियों का संतुलित विरोध करने की रणनीति अपनानी चाहिए।

स्वतंत्र राजनीतिक लाइन पर जोर

माकपा ने इस महीने 24वें पार्टी कांग्रेस के लिए मसौदा राजनीतिक प्रस्ताव जारी किया है, जो अप्रेल में तमिलनाडु के मदुरै में आयोजित किया जाएगा। इसमें पार्टी नेतृत्व ने भविष्य में स्वतंत्र राजनीतिक लाइन पर जोर दिया है, न कि सिर्फ चुनावी समझौतों पर निर्भर रहने की। प्रस्ताव में कहा गया है कि पार्टी को स्वतंत्र राजनीतिक अभियान और जन आंदोलन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। चुनावी समझौते या गठबंधन के नाम पर हमारी स्वतंत्र पहचान या गतिविधियों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।

पार्टी को पुनर्निर्माण और विस्तार की जरूरत

बंगाल और त्रिपुरा का जिक्र करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि इन राज्यों में पार्टी को पुनर्निर्माण और विस्तार की जरूरत है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में ग्रामीण गरीबों के बीच काम करने और उन्हें संगठित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। पार्टी को भाजपा के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक संघर्ष पर जोर देना होगा, साथ ही तृणमूल और भाजपा दोनों का विरोध जारी रखना होगा।

ध्रुवीकरण की राजनीति का ट्रेंड 2019 से

बंगाल में ध्रुवीकरण की राजनीति का यह ट्रेंड 2019 के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट हुआ, जब भाजपा ने 2014 की दो सीटों की तुलना में 18 सीटें जीतकर तृणमूल के सामने एक मजबूत विपक्ष के रूप में जगह बना ली। इसके बाद 2021 के विधानसभा चुनाव में यही ध्रुवीकरण तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में चला गया और पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही ट्रेंड जारी रहा और तृणमूल कांग्रेस सबसे ज्यादा फायदा मिला। इन तीनों चुनावों में माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पूरी तरह हाशिए पर चला गया और एक भी सीट जीतने में नाकाम रहा।

आधार और प्रभाव नहीं बढ़ा

अपने मसौदा प्रस्ताव में माकपा ने अफसोस जताया कि चुनाव परिणामों से पता चलता है कि पार्टी का आधार और प्रभाव नहीं बढ़ा है। माकपा ने पश्चिम बंगाल के संदर्भ में कहा कि पार्टी को तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों का विरोध करते हुए भाजपा के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक लड़ाई पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा। पार्टी ने कहा कि भाजपा-आरएसएस तथा हिंदुत्व-कॉर्पोरेट गठजोड़ से लडऩा और उन्हें हराना प्रमुख कार्य है। मसौदा राजनीतिक प्रस्ताव के अनुसार माकपा इंडिया गठबंधन और अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ सहयोग करना जारी रखेगी तथा फिर अपना जनाधार तैयार करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। मसौदा प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि भाजपा नीत सरकार का हिंदुत्व अभियान राज्य प्रायोजित गतिविधियों के माध्यम से आक्रामक ढंग से निरंतर चल रहा है।

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