scriptImportant message: मोहन भागवत ने बताया, क्या चाहता है संघ, क्या है भारत | Political polarization in West Bengal, Trinamool to benefit the most Important message Mohan Bhagwat told, what does the Sangh want, what is India Political polarization in West Bengal, Trinamool to benefit the most | Patrika News
कोलकाता

Important message: मोहन भागवत ने बताया, क्या चाहता है संघ, क्या है भारत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने पश्चिम बंगाल ( west bengal) के पूर्व बर्धमान में अहम संदेश दिया है। उन्होंने भारत, विश्व, हिन्दू समाज, संघ और राजा राम के प्रसंगों को उठाया तथा विस्तार से जवाब दिया।

कोलकाताFeb 17, 2025 / 04:02 pm

Rabindra Rai

Important message मोहन भागवत ने बताया, क्या चाहता है संघ, क्या है भारत

बर्धमान के साई ग्राउंड में आयोजित संघ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने इसको बताया भारतीय संस्कृति की पहचान

मोहन भागवत ने विश्व की विविधता को स्वीकार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों के समाज के प्रति काम को बताया और कहा कि संघ का उद्देश्य केवल हिन्दू समाज को एकजुट करना है। बर्धमान के साई ग्राउंड में आयोजित संघ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि लोग अक्सर पूछते हैं कि हम सिर्फ हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं और मेरा जवाब है कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है, जो मानता है कि एकता में ही विविधता समाहित है। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ क्या करना चाहता है? अगर इस प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में देना है तो संघ पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना चाहता है।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत केवल भूगोल नहीं, बल्कि एक प्रकृति है, जिसकी आत्मा हिंदू समाज में बसती है। जिन्होंने सोचा कि वो उस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया लेकिन, जो लोग यहां रहे उन्होंने स्वाभाविक रूप से भारत के मूल तत्व को अपना लिया और यह मूल तत्व क्या है? यह हिंदू समाज है, जो दुनिया की विविधता को स्वीकार करके फलता-फूलता है। हम कहते हैं विविधता में एकता लेकिन, हिंदू समाज का मानना है कि विविधता ही एकता है। भागवत ने कहा कि अच्छे समय में भी चुनौतियां हमेशा सामने आती रहेंगी। समस्या की प्रकृति अप्रासंगिक है। महत्वपूर्ण ये है कि हम उनका सामना करने के लिए कितने तैयार हैं।

रामायण के जरिए सेवा भाव का संदेश

भागवत ने कहा कि भारत के इतिहास में महान शासकों और योद्धाओं की गाथाएं हैं लेकिन, भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले राजा (भगवान राम) और उस व्यक्ति (भरत) को याद रखता है जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर राज्य उसे राज सौंप दिया। उन्होंने कहा कि ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं। हम ऐसे कार्यों में शामिल नहीं होते जो दूसरों को आहत करते हों। शासक, प्रशासक और महापुरुष अपना काम करते हैं लेकिन, समाज को राष्ट्र की सेवा के लिए आगे रहना चाहिए।

अंग्रेजों की नीति का किया खुलासा

सिकंदर के समय से लेकर अब तक हुए ऐतिहासिक आक्रमणों पर भागवत ने कहा कि चुनिंदा बर्बर लोगों ने, जो गुणों में श्रेष्ठ नहीं थे, भारत पर शासन किया तथा इस दौरान समाज में विश्वासघात का चक्र जारी रहा। उन्होंने कहा कि देश का निर्माण अंग्रेजों ने नहीं किया था। अंग्रेजों ने यह धारणा स्थापित करने की कोशिश की कि भारत एकजुट नहीं था लेकिन, यह सच नहीं है। एक तरह से अंग्रेजों ने भारतीय समाज में फूट डालने का काम किया।

संघ में शामिल होने को कोई शुल्क नहीं, जब चाहें बाहर जाएं

मोहन भागवत ने कहा कि संघ को एक ही काम करना है समाज को एकजुट करना, एकजुट रखना और ऐसे जीवन जीने वाले लोगों का निर्माण करना यही संघ का काम है। संघ के कार्य को समझना चाहिए, क्योंकि कई शताब्दियों के बाद भारत में ऐसा काम हुआ है। लोगों से अपील करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि संघ को समझने के लिए आपको संघ के अंदर आना होगा। कोई शुल्क नहीं है, कोई औपचारिक सदस्यता नहीं है और आप जब चाहें बाहर जा सकते हैं।

Hindi News / Kolkata / Important message: मोहन भागवत ने बताया, क्या चाहता है संघ, क्या है भारत

ट्रेंडिंग वीडियो