रजगामार रोड पर रिस्दी स्थित जिला जेल के पास श्वेता हॉस्पिटल स्थित है। अस्पताल में एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। बच्चे के जन्म के बाद प्रसूता की तबीयत बिगड़ गई थी। उसे आनन-फानन में अस्पताल की ओर से कोरबा के एक दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया था। इलाज के दौरान प्रसूता की मौत हो गई थी। घटना से आक्रोशित परिवार ने हंगामा किया था। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई थी।
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से कार्रवाई की मांग की गई थी। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने श्वेता हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। नर्सिंग एक्ट के मानकों पर अस्पताल को परखा गया। इसकी जांच की गई थी कि श्वेता हॉस्पिटल का संचालन नर्सिंग एक्ट में किए गए प्रावधानों के अनुसार हो रहा है या नहीं। इस टीम ने तीन डॉक्टरों को शामिल किया गया था। टीम ने नर्सिंग एक्ट के मानकों को निरीक्षण किया। यहां तैनात डॉक्टरों से लेकर अन्य स्टॉफ के संबंध में जानकारी एकत्र किया। मामले से संबंधित रिपोर्ट जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दी गई थी।
सस्पेंड ऑर्डर एक जुलाई से 15 जुलाई तक
अस्पताल में नर्सिंग एक्ट का उल्लंघन पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की ओर से एक नोटिस जारी किया गया था। अस्पताल प्रबंधन से 24 घंटे में जवाब मांगा गया था। श्वेता हॉस्पिटल के प्रबंधन ने निर्धारित समय के भीतर जवाब जमा किया था। लेकिन इस जवाब से चिकित्सा विभाग संतुष्ट नहीं हुआ। श्वेता हॉस्पिटल पर कार्रवाई के लिए फाइल कलेक्टर के पास प्रस्तुत की गई। उनसे अनुमति मिलने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में श्वेता हॉस्पिटल के लाइसेंस को निंलबित करने का आदेश शुक्रवार को दिया।
हालांकि यह आदेश एक जुलाई से प्रभावशील होगा, जो 15 जुलाई तक जारी रहेगा। इस अवधि में श्वेता हॉस्पिटल का प्रबंधन किसी भी मरीज का इलाज नहीं कर सकेगा, न ही उन्हें भर्ती कर सकेगा। विभाग की ओर से बताया गया है कि यह कार्रवाई इस कारण से की गई है कि तीन दिन में अस्पताल का प्रबंधन अपने यहां भर्ती मरीजों को किसी अन्य अस्पताल में शिट कर सके। प्रबंधन चाहे तो यहां के मरीजों को सरकारी अस्पताल में या जिले के किसी अन्य या बाहर के अस्पताल में मरीजों की इच्छा के अनुसार रेफर कर सकता है। श्वेता अस्पताल पर हुई इस कार्रवाई से मुश्किलें बढ़ गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने कोरबा में स्थित एनकेएच पर भी 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। विभाग की ओर से आरोप लगाया गया है कि अस्पताल का संचालन नर्सिंग एक्ट के तहत नहीं किया जा रहा है। विभाग का कहना है कि इसकी पुष्टि अस्पताल की जांच के लिए गठित टीम ने अपनी रिपोर्ट में की है।
परिवार ने दी है चक्काजाम की चेतावनी
अस्पताल में इलाज के दौरान हुई लापरवाही से मौत के मामले में महिला के परिजनों ने 28 जून को रिस्दी के पास चक्काजाम की चेतावनी दी है। अस्पताल प्रबंधन पर प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि प्रसूता के परिवार के सदस्य स्वास्थ्य विभाग के इस कार्रवाई से संतुष्ट है या नहीं। परिवार का आरोप है कि श्वेता हॉस्पिटल में डॉक्टर मनियारो कुजुर ने प्रसूता का ऑपरेशन कर प्रसव कराया था। इसके बाद इलाज में लापरवाही बरती गई। इससे प्रसूता अंजलि की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई।
20 बेड पर एक डॉक्टर का होना जरूरी
स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया है कि श्वेता हॉस्पिटल को 30 बेड की अनुमति है। अस्पताल का प्रबंधन 30 बेड लगाकर मरीजों को अस्पताल में इलाज कर सकता है। यह अनुमति इन शर्तों पर दी गई है कि 20 बेड पर अस्पताल में आठ घंटे के लिए एक एमबीबीएस डॉक्टर की ड्यूटी अनिवार्य है। 24 घंटे में आठ-आठ घंटे यानी तीन शिफ्ट की ड्यूटी के लिए श्वेता हॉस्पिटल को तीन डॉक्टर रखने थे। लेकिन अस्पताल में इतने डॉक्टर नहीं रो और न ही इनके यहां अन्य प्रशिक्षित कर्मचारी पाए गए। श्वेता हॉस्पिटल का लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित किया गया है। निलंबन की अवधि से एक जुलाई से शुरू होगी, जो 15 जुलाई तक जारी रहेगी। तीन दिन में प्रबंधन को मरीज शिफ्ट करने होंगे। – डॉ. एसएन केसरी, सीएमएचओ