scriptExclusive: राजस्थान में नावों से बेखौफ हो रहा बजरी का अवैध खनन, धड़ल्ले से रोजाना भर रहे 200 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉली | Exclusive: Gravel Mafia Daily 200 Tractor- Trolley Illegal Mining In Kota Chambal River Through Boat Department Silent | Patrika News
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Exclusive: राजस्थान में नावों से बेखौफ हो रहा बजरी का अवैध खनन, धड़ल्ले से रोजाना भर रहे 200 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉली

Gravel Mafia Illegal Mining: पत्रिका टीम तड़के ही चम्बल नदी के रंगपुर घाट पर पहुंची तो यहां आधा दर्जन नावों को नदी में उतार कर अवैध रूप से बजरी निकाली जा रही थी।

कोटाJun 05, 2025 / 11:38 am

Akshita Deora

नावों के जरिये चंबल नदी से बजरी निकालते हुए (फोटो: नीरज) पत्रिका

अंकितराज सिंह चंद्रावत


राजस्थान में बजरी माफिया बेखौफ है। खनन माफियाओं में शासन-प्रशासन का डर खत्म हो गया है। नदी-नाले, तालाब सब इनके निशाने पर है। इधर, कोटा शहर के नजदीक चम्बल नदी के डाउन स्ट्रीम में खनन माफिया धड़ल्ले से नावों के जरिये बजरी का अवैध खनन कर रहे हैं। रोजाना 200 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली बजरी चम्बल नदी से अवैध रूप से निकाली जा रही है। जबकि अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार की ओर से जिला स्तर पर संयुक्त दल गठित कर रखे हैं, इसके बावजूद माफिया बैखौफ होकर अवैध खनन कर रहे हैं।
पत्रिका टीम तड़के ही चम्बल नदी के रंगपुर घाट पर पहुंची तो यहां आधा दर्जन नावों को नदी में उतार कर अवैध रूप से बजरी निकाली जा रही थी। नदी से बजरी निकालकर पहले से खड़े ट्रैक्टर-ट्रॉली और डम्परों में तुरंत भरकर रवाना कर दिया गया। खनन माफियाओं ने खेतों में अवैध स्टॉक जमा कर रखा है और यहीं से सप्लाई भी करते हैं। रंगपुर घाट से सुल्तानपुर क्षेत्र तक धड़ल्ले से अवैध रूप से बजरी निकाली जा रही है।

घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र भी नहीं छोड़ा

चम्बल घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र में भी अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, जहां इस तरह की गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, लेकिन इसके बावजूद खनन माफिया दिनदहाड़े नावों के जरिए नदी के पेंदे से बजरी निकाल रहे हैं।

एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी


हम इस मामले में कार्रवाई करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि चंबल नदी से निकलने वाली बजरी वन विभाग के क्षेत्राधिकार में आती है और इस बजरी के उत्खनन पर प्रतिबंध है। अत: इस संबंध में कार्रवाई करने का अधिकार केवल वन विभाग को है। हमारी टीम इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। आप संबंधित डीएफओ को इस संबंध में अवगत कराएं।
रामनिवास मंगल, एमई कोटा

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बजरी को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरते हुए (फोटो: नीरज) पत्रिका
यह क्षेत्र अब हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, यह रामगढ़ विषधारी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ऐसे में कार्रवाई का अधिकार संबंधित क्षेत्रीय अधिकारियों को है। यदि वहां अवैध खनन हो रहा है, तो हम इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को अवश्य देंगे, ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव, उपवन संरक्षक, कोटा मंडल

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जिला प्रशासन द्वारा अवैध खनन को रोकने के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसमें खनन विभाग, वन विभाग, परिवहन विभाग तथा पुलिस विभाग शामिल हैं। यह समय-समय पर आवश्यक कार्रवाई करती है। हमारे द्वारा ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त की जाती है। यदि इसके बावजूद भी अवैध खनन जारी रहता है, तो कमेटी को सूचित कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
रामस्वरूप मीणा, सीआई, रेलवे कॉलोनी थाना

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रंगपुर में नदी किनारे बजरी को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरते हुए (फोटो: नीरज) पत्रिका

ये चार विभाग हैं इसके जिम्मेदार

  1. वन विभाग- यह अवैध खनन घडियाल अभयारण्य क्षेत्र में हो रहा है। ऐसे में इसको रोकने की पहली जिम्मेदारी वन विभाग की है।
  2. खनन विभाग- अवैध खनन भले ही वन विभाग के क्षेत्र में रहा हो, लेकिन इसको वहां से बाहर लाकर बेचा जा रहा है। ऐसे में खनन विभाग भी इसपर कार्रवाई कर सकता है।
  3. परिवहन विभाग- बजरी को ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर इसका परिवहन किया जा रहा है। ऐसे में परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है की वह अवैध खनन से भरी बजरी के ट्रैक्टर-ट्रॉली पर कार्रवाई करें।
  4. पुलिस- स्थानीय थाना क्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में अवैध खनन किया जा रहा है और पुलिस इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
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जलीय जीवों को खतरा


सरकारी आदेशों और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद इस अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। इससे न केवल नदी की पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है, बल्कि जलीय जीवों पर भी खतरा मंडरा रहा है। खासकर घड़ियालों, के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।

थानों के सामने से गुजरते हैं ट्रैक्टर-डंपर


माफिया खुलेआम चंबल नदी से बजरी निकालते हैं और फिर उसे नाव के जरिए किनारे तक लाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर में भरकर शहर तक पहुंचाते हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि ये ट्रॉलियां थानों और वन विभाग की चेकपोस्ट के सामने से बेरोकटोक गुजरती हैं।

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