घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र भी नहीं छोड़ा
चम्बल घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र में भी अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, जहां इस तरह की गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, लेकिन इसके बावजूद खनन माफिया दिनदहाड़े नावों के जरिए नदी के पेंदे से बजरी निकाल रहे हैं।एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
हम इस मामले में कार्रवाई करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि चंबल नदी से निकलने वाली बजरी वन विभाग के क्षेत्राधिकार में आती है और इस बजरी के उत्खनन पर प्रतिबंध है। अत: इस संबंध में कार्रवाई करने का अधिकार केवल वन विभाग को है। हमारी टीम इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। आप संबंधित डीएफओ को इस संबंध में अवगत कराएं।

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जिला प्रशासन द्वारा अवैध खनन को रोकने के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसमें खनन विभाग, वन विभाग, परिवहन विभाग तथा पुलिस विभाग शामिल हैं। यह समय-समय पर आवश्यक कार्रवाई करती है। हमारे द्वारा ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त की जाती है। यदि इसके बावजूद भी अवैध खनन जारी रहता है, तो कमेटी को सूचित कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
ये चार विभाग हैं इसके जिम्मेदार
- वन विभाग- यह अवैध खनन घडियाल अभयारण्य क्षेत्र में हो रहा है। ऐसे में इसको रोकने की पहली जिम्मेदारी वन विभाग की है।
- खनन विभाग- अवैध खनन भले ही वन विभाग के क्षेत्र में रहा हो, लेकिन इसको वहां से बाहर लाकर बेचा जा रहा है। ऐसे में खनन विभाग भी इसपर कार्रवाई कर सकता है।
- परिवहन विभाग- बजरी को ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर इसका परिवहन किया जा रहा है। ऐसे में परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है की वह अवैध खनन से भरी बजरी के ट्रैक्टर-ट्रॉली पर कार्रवाई करें।
- पुलिस- स्थानीय थाना क्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में अवैध खनन किया जा रहा है और पुलिस इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
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जलीय जीवों को खतरा
सरकारी आदेशों और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद इस अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। इससे न केवल नदी की पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है, बल्कि जलीय जीवों पर भी खतरा मंडरा रहा है। खासकर घड़ियालों, के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
थानों के सामने से गुजरते हैं ट्रैक्टर-डंपर
माफिया खुलेआम चंबल नदी से बजरी निकालते हैं और फिर उसे नाव के जरिए किनारे तक लाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर में भरकर शहर तक पहुंचाते हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि ये ट्रॉलियां थानों और वन विभाग की चेकपोस्ट के सामने से बेरोकटोक गुजरती हैं।