64 रुपए किलो दूध, 30 प्रतिशत पानी
कोटड़ी रोड पर एक डेयरी से 64 रुपए किलो की दर से दूध खरीदा। इसमें 30 फीसदी पानी की मिलावट पाई गई। एसएनएफ की मात्रा 6 प्रतिशत मिली। जबकि एसएनएफ की मात्रा 9 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए। वहीं इसके पास ही एक अन्य डेयरी से भी 64 रुपए किलो के हिसाब से दूध खरीद कर सैम्पल की जांच करवाई। इसमें फेट की मात्रा निर्धारित से कम मिली और एसएनएफ भी 5 प्रतिशत मिला। पानी की मात्रा 33 फीसदी मिली।पत्रिका ने अलग-अलग इलाकों से दूध खरीदा, एक भी सैम्पल पास नहीं
- * गुमानपुरा सिंधी कॉलोनी में एक डेयरी से 60 रुपए किलो रेट से दूध खरीदा। इसमें 2.80 प्रतिशत फैट आया। करेक्टेड लेक्टोमीटर रीडिंग (सीएलआर ) 22 पाई गई। जबकि दूध में इसकी मात्रा 26 से 32 होनी चाहिए।
- * थेगडा रोड शिवाजी नगर में दूधिए के 50 रुपए किलो दूध में 60 फीसदी पानी की मिलावट मिली।
- * इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र रोड नम्बर एक पर मल्टीस्टोरी में दूध सप्लाई करने वाले दूधिए ने 50 फीसदी तक पानी की मिलावट कर रखी थी।
- * कुन्हाड़ी की एक डेयरी के 50 रुपए प्रतिकिलो के दूध में 40 फीसदी पानी की मिलावट पाई गई। फैट 3.7 था। सीएफआर 22 आया।
- * एक ब्रांडेड पैकेज्ड मिल्क की जांच में भी 50 फीसदी तक पानी पाया गया।
सेपरेटा का पनीर
कुन्हाड़ी स्थित एक डेयरी से पनीर लेकर जांच करवाया। जिसमें सेपरेटा का पनीर पाया गया। कोटडी की एक डेयरी के पनीर में भी सेपरेटा से पनीर बनाए जाने की पुष्टि हुई। जबकि पनीर 360 रुपए किलो बेच रहे हैं।पानी की मात्रा नहीं बढ़ाई तो एसएनएफ बढ़ा दिया
पत्रिका टीम की पड़ताल में एक तथ्य यह भी सामने आया कि दूध में एसएनएफ (सॉलिड नॉन फैट) की मात्रा बढ़ा दी गई है। इसका अर्थ यह है कि दूध से फैट निकालकर उसमें स्किम्ड दूध (सेपरेटा) मिला दिया गया। ऐसे दूध में पोषक तत्वों की कमी हो रहती है और इसे पीने से कोई विशेष लाभ नहीं होता।536 में से 318 नमूने फेल
कोटा डेयरी के चेयरमैन चैनसिंह राठौड़ ने बताया कि आरसीडीएफ और कोटा डेयरी की टीम ने 24 मार्च से 14 अप्रेल तक शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से कुल 536 सैम्पल लिए। इसमें से 318 नमूने अमानक पाए गए। इसमें पानी की मात्रा अधिक पाई गई। दूध के 60 फीसदी नमूने फेल गए।यहां करवा सकते हैं जांच
कोटा डेयरी की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में नि:शुल्क दूध जांच शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें उपभोक्ता अपने दूध की शुद्धता की जांच करवा सकते हैं। यहां दूध में पानी, स्टार्च, नमक, ग्लूकोज, सुक्रोज जैसी मिलावट की ऑन स्पॉट जांच की जाती है। जिला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की प्रयोगशाला में भी निशुल्क जांच करवा सकते हैं।एक्सपर्ट व्यू: रासायनिक मिलावट गंभीर बीमारियों का कारण
मिलावटी दूध व उससे बने उत्पाद शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकते हैं। इसमें मिलाए जाने वाले केमिकल्स व कृत्रिम पदार्थ पाचन तंत्र को सीधे प्रभावित करते हैं। जिससे उल्टी, दस्त, पेट दर्द, अपच, गैस जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। लगातार मिलावटी दूध के सेवन से लिवर और किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ता है। डिटर्जेंट, सिंथेटिक दूध या यूरिया जैसी मिलावट के दीर्घकालीन उपयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मिलावटी दूध से टाइफाइड का भी खतरा रहता है। बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो सकता है।डॉ. पंकज जैन, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, कोटा मेडिकल कॉलेज