Mahakumbh Stampede: वह दृश्य हृदय विदारक था…भगदड़ से दबे-कुचले लोगों के परिजन हो गए बदहवास
मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले मची थी भगदड़, वहां बैठे और कपड़े बदलते श्रद्धालुओं को कुचलते हुए निकल गई भीड़, मची चीख-पुकार, कोटा के श्रद्धालुओं ने भी लगाई डुबकी, सभी सुरक्षित
Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर संगम घाट पर मंगलवार देर रात मची भगदड में कई लोगों की मौत हो गई। इस दौरान संगम घाट व अन्य घाटों पर कोटा से भी बड़ी संख्या में लोग अमृत स्नान करने पहुंचे थे। अब तक मिली जानकारी के अनुसार कोटा से गए श्रद्धालु सुरक्षित हैं।
पत्रिका ने महाकुंभ में गए लोगों से बात की और वहां के हालात जाने। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इतनी भीड़ थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। भगदड़ मची तो वहां बैठे और कपड़े बदलते लोगों को भीड़ ने कुचल दिया। इससे चीख-पुकार मच गई। उनके परिजन बदहवास हो गए।
कोटा के लोग सुरक्षित बड़ा भक्तमाल पीठ के अवधेश कुमाराचार्य के अनुसार महाकुम्भ में हाड़ौती नगर भंडारे में विभिन्न स्थानों से पहुंचे लोग सुरक्षित हैं। हादसे के बाद सभी संतों ने अपने अपने घाटों पर स्नान किया। साध्वी हेमा सरस्वती के अनुसार भगदड़ के बाद तीन घाटों पर स्नान रोक दिया गया। कोटा के लोग सुरक्षित हैं।
भगदड़ में फंसे पांच-छह लोगों को सुरक्षित बचाया मैं 26 जनवरी को प्रयागराज पहुंच गया था। मौनी अमावस्या पर स्नान करने के लिए मैं मंगलवार रात करीब दस बजे ही संगम तट पर पहुंच गया। संगम तट पर स्नान के लिए शाम से ही भारी संख्या में लोगों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। यहां पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी। पुलिस प्रशासन बार-बार लोगों को संगम तट पर नहीं आने की अपील कर रहा था। पुलिस के नियंत्रण से भीड़ बाहर हो गई।
लाखों लोग स्नान रहे थे, अत्यधिक भीड़ होने पर पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर लोगों को रोक दिया। पुलिस लोगों को स्नान कर जल्दी से रवाना होने की मुनादी कर रही थी, लेकिन भीड़ अधिक होने से कारण लोगों का निकलना मुश्किल हो गया था। रात करीब एक बजे भीड़ बेरिकेडिंग को तोड़ते हुए आगे बढ़ गई। लोग एक के ऊपर एक चढ़ गए। जो लोग बैठे हुए थे और कपड़े बदल रहे थे उनके ऊपर लोग चढ़ते और कुचलते हुए आगे बढ़ गए। इससे भगदड़ मच गई।
सभी अखाड़ों को रास्ते में रोक दिया। भीड़ में दबने की नौबत आ गई। 5-6 लोग जिनमें बुजुर्ग और महिलाएं थी, उन्हें मैं भीड़ से निकालकर लाया। मैंने जैसे मेरा मोबाइल फोटो खींचने के लिए निकला तो शिविर में मेरे साथ रुके बंटी शर्मा के 6 मिस कॉल दिखे। उन्होंने भी भगदड़ की जानकारी दी। वह दृश्य हृदय विदारक था, भगदड़ में दबे-कुचले लोगों के परिजनों की चीख-पुकार मच गई। -अक्षय व्यास, टीचर्स कॉलोनी, कोटा
ठाकुरजी की कृपा से बच गए, भीड़ देखकर अरेल घाट पर किया स्नान मित्र मंडली के साथ मैं मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए सोमवार रात प्रयागराज पहुंचा। पुलिस ने महाकुंभ स्थल से करीब आठ किमी दूर कार रोक दी थी। मंगलवार को महाकुंभ में घूमे और शाम करीब पांच बजे अरेल घाट पहुंचे और यहां स्नान किया। मित्रों ने कहा कि संगम घाट पर शाही स्नान होगा, इसलिए वहां चलें, जो अरेल घाट से दूसरी तरफ है। हम पैदल ही संगम घाट के लिए रवाना हो गए, अरेल घाट से संगम घाट करीब आठ किमी दूर है। आधा सफर ही तय किया था कि भीड़ के कारण वहां पहुंचाना मुश्किल हो गया। इसी बीच रात के नौ बजे गए।
भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था कि संगम घाट पर नहीं पहुंच पाएंगे। मैंने साथी एडवोकेट मनीष गुर्जर से कहा कि इतनी भीड़ में चलना मुश्किल है। धक्के से ही आगे बढ़ते रहे। पुलिस प्रशासन बार-बार मुनादी करवा रहा था कि संगम घाट पर नहीं आएं, हमने ठाकुरजी का नाम लिया और वापस अरेल घाट की ओर रुख किया। बड़ी मुश्किल से अरेल घाट पहुंचे और मौनी अमावस्या के शुभ मुहूर्त में स्नान किया। प्रशासन का प्रबंधन ऐसा था कि भगदड़ की अफवाह नहीं फैलने दी। हमें भी सुबह पता चला था। सारे रास्ते बंद कर दिए थे। हादसे के बाद संगम घाट को छोड़कर अन्य घाटों पर स्नान सुचारू चलता रहा। जिन लोगों ने स्नान कर लिया, उन्हें सुरक्षित तरीके से रवाना किया। -क्रांति तिवारी, पीसीसी सदस्य