मथुरा जंक्शन के तत्कालीन मुख्य टिकट निरीक्षक बृजबिहारी लाल ने बताया कि 28 मई 2014 को वह ट्रेन संख्या 13237 में मथुरा से सवार हुए थे। उनके साथ ट्रेन में एके पाण्डेय और राकेश कुमार स्लीपर कोच में चैकिंग कर रहे थे। इसी दौरान जब वह थर्ड एसी में टिकट की चैकिंग कर रहे थे तो सीट नंबर 7 व 11 पर अनिल कुमार और उनकी पत्नी शशिसिंह यात्रा कर रहे थे। उनके साथ सात साल का बेटा भी था।
बच्चे का स्लीपर श्रेणी का टिकट था। इस पर उन्होंने दम्पती से बच्चे को स्लीपर में शिफ्ट करने या एसी का टिकट बनवाने की बात कही। इस पर उन्होंने खुद के भाई को कोटा में टीटीई होना बताया। इस पर बृजबिहारी लाल ने उचित टिकट लेकर ही यात्रा करने की बात कही। इससे वे खफा हो गए और कोटा स्टेशन पहुंचते ही कोटा वर्कशॉप कॉलोनी निवासी अनिल कुमार सिंह, अलवर निवासी हाल कोटा वर्कशाॅप कॉलोनी निवासी कमल सिंह और दुर्ग नगर निवासी सुभाष मुखर्जी समेत 10-12 लोगों ने उनसे मारपीट की।
जीआरपी ने मामला दर्ज कर तीनों आरोपियों के खिलाफ 2 मार्च 2015 को न्यायालय में चालान पेश किया। मामले में 17 गवाहों के बयान के आधार पर न्यायालय ने अनिल कुमार सिंह और कमल सिंह को दो-दो वर्ष के साधारण कारावास और अर्थदंड से दंडित किया, जबकि सुभाष मुखर्जी की मृत्यु होने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई ड्राॅप कर दी गई।