PCOS में किन चीजों से करना चाहिए परहेज — डायटिशियन
पल्लवी कुमारी (डायटिशियन, BHU, शोधार्थी) बताती हैं, “PCOS से जूझ रही महिलाओं के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि उनकी थाली में क्या जा रहा है। कुछ विशेष चीजें ऐसी हैं जो हार्मोनल असंतुलन और इंसुलिन रेसिस्टेंस को और ज्यादा बढ़ा सकती हैं।”
प्रोसेस्ड और फ्राइड फूड्स
बाजार में मिलने वाले चिप्स, पकोड़े, समोसे, फ्रेंच फ्राइज, बर्गर जैसे तले-भुने फूड्स ट्रांस फैट और रिफाइंड तेल से भरपूर होते हैं। ये शरीर में सूजन बढ़ाते हैं, वजन बढ़ाते हैं और इंसुलिन रेसिस्टेंस को बिगाड़ सकते हैं, जिससे PCOS के लक्षण और गहरे हो जाते हैं।
मीठे पेय पदार्थ
कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स, पैक्ड फ्रूट जूस आदि में अधिक मात्रा में चीनी और हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप होता है, जो ब्लड शुगर को असंतुलित करता है और हार्मोनल गड़बड़ी का कारण बनता है।
रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट
मैदे से बनी चीजें जैसे सफेद ब्रेड, पास्ता, पिज्जा और बेक्ड स्नैक्स जल्दी पचकर ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाते हैं। यह प्रक्रिया इंसुलिन स्पाइक्स को जन्म देती है, जिससे PCOS के लक्षण बिगड़ सकते हैं।
मिठाई और डेसर्ट
केक, पेस्ट्री, टॉफी, बर्फी, लड्डू जैसी मिठाइयों में रिफाइंड शुगर और सैचुरेटेड फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ये शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं और हार्मोन असंतुलन का खतरा बढ़ाते हैं। फुल-फैट डेयरी उत्पाद
फुल क्रीम दूध, मक्खन, क्रीम और पनीर जैसे डेयरी आइटम्स कुछ महिलाओं में एंड्रोजन हार्मोन को बढ़ा सकते हैं, जिससे मुंहासे और पीरियड्स में गड़बड़ी हो सकती है। इसे भी पढ़ें-
PCOS से राहत के लिए रोजाना करें ये 5 योगासन, हार्मोन संतुलन में मिलेगी मदद
रेड और प्रोसेस्ड मीट
बेकन, सॉसेज, हॉट डॉग और रेड मीट जैसे आइटम्स में सैचुरेटेड फैट और प्रिजरवेटिव्स होते हैं जो शरीर में इंफ्लेमेशन को बढ़ाते हैं और हार्मोन बैलेंस को खराब कर सकते हैं।
किन चीजों का सेवन करें — एक्सपर्ट की सलाह
PCOS में महिलाएं साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, लीन प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार को डाइट में शामिल करें। प्रोसेस्ड और मीठी चीजों से परहेज कर ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे हार्मोन संतुलन बना रहता है और लक्षणों में सुधार आता है। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।