पेरेंट्स बच्चों को संघर्ष सिखाएं
सीईओ मयंक आर्य ने आगे कहा कि एक पिता होने के नाते केवल आराम देना काफी नहीं है। असली मूल्य बच्चों को जीवन के संघर्ष और मेहनत से अवगत कराना है । “संघर्ष दिखाना ज़रूरी है। आकांक्षाएं जगानी चाहिए। बिजनेस क्लास तब तक नहीं, जब तक बच्चे खुद वहन न कर सकें। सिर्फ इसलिए नहीं कि उनके पिता कर सकते हैं।”
कई पेरेंट्स और यूजर्स ने उनकी सोच की तारीफ की
पोस्ट के वायरल होने के बाद कई पेरेंट्स और यूजर्स ने उनकी सोच की तारीफ की। कई लोगों ने कहा कि आज के समय में यह सोच प्रेरणादायक है जब ज़्यादातर लोग सिर्फ दिखावे पर ध्यान देते हैं।
यह क्यों मायने रखता है?
आज की पेरेंटिंग में भौतिक सुख से अधिक मूल्य शिक्षा की ज़रूरत है। CEOS और प्रभावशाली लोग जब ऐसे विचार साझा करते हैं, तो उसका असर समाज पर गहरा पड़ता है। यह उदाहरण बताता है कि हर यात्रा सिर्फ सफर नहीं होती – वह एक सीख भी होती है।
सोशल मीडिया यूज़र्स की प्रतिक्रिया
“सही कहा सर! आजकल ज़्यादातर पैरेंट्स दिखावे में पड़ जाते हैं, ये पोस्ट आंखें खोलने वाली है।” “ये एक सच्चे लीडर की सोच है – न सिर्फ कंपनी के लिए, बल्कि परिवार के लिए भी।”
पेरेंटिंग एक्सपर्ट की राय
बच्चों को सीमाओं में रहना सिखाना ज़रूरी है। विलासिता में बड़ा होना कई बार संवेदनशीलता छीन लेता है। यह निर्णय उनके लिए एक वास्तविकता की झलक है, जिससे वे भविष्य में अधिक ज़िम्मेदार बन सकते हैं।
कंपनी के दृष्टिकोण से
क्या YesMadam जैसी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों को भी वैल्यू-बेस्ड पेरेंटिंग के लिए ट्रेनिंग या गाइडलाइन देती हैं? इसका सोशल इम्पैक्ट
क्या इस सोच से स्टार्टअप जगत में एक नया ट्रेंड शुरू हो सकता है – जहां वैल्यू-बेस्ड फैमिली कल्चर को बढ़ावा मिले? लिंक्डइन के वायरल इम्पैक्ट पर
क्या ऐसे पोस्ट्स युवा पैरेंट्स के लिए रियल-लाइफ एजुकेशन टूल बन सकते हैं?
- बिजनेस क्लास बनाम इकॉनमी क्लास – पेरेंटिंग के नजरिए से:
क्या लग्जरी का जल्दी एक्सपोज़र बच्चों में entitlement बढ़ाता है?
- फाउंडर की सोच – स्टार्टअप कल्चर में वैल्यू सिस्टम:
मयंक आर्य जैसे संस्थापकों की व्यक्तिगत सोच क्या कंपनी के वर्क कल्चर को भी प्रभावित करती है?
- बच्चों को संघर्ष दिखाने की ज़रूरत क्यों है?
यह ट्रेंड उन माता-पिता के लिए भी आईना है, जो हर चीज बच्चों को “फौरन” देना चाहते हैं।
इनपुट : LinkedIn/@MayankArya की पोस्ट