खेत को हर चार वर्षों में एक वर्ष विश्राम देने का सुझाव
साल के किस समय बारिश होगी, कब सर्दी आएगी और कब गर्मियां, यह सब हमारे पूर्वजों ने अंतरिक्ष में ग्रहों और सूर्य की गति और स्थिति को दर्ज करके बताना शुरू किया। इसने एक ऐसा कृषि चक्र बनाने में मदद दी, जिसने तमाम आपदाओं और विपदाओं के बावजूद भारतीय सभ्यता का अस्तित्व बनाए रखा। दूसरी ओर कृषि में संवत्सर आधारित ज्ञान भी अद्भुत ढंग से उपयोगी साबित हुआ। वराहमिहिर की ‘बृहत्संहिता’ में मौसम पूर्वानुमान के वैज्ञानिक सिद्धांत दिए गए।नासा ने अभी बताया, जो हम हजारों वर्षों में सीख चुके थे
हाल ही में नासा ने यह सिद्ध किया है कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पौधों के जल अवशोषण और वृद्धि को प्रभावित करता है। यह ज्ञान भारतीय कृषि ग्रंथों में हजारों वर्ष पहले दर्ज था।ग्रंथों में कृषि और विज्ञान
ऋग्वेद में ही कृषि को सर्वोच्च कार्य बताया गया :“अक्षैर्मा दीव्यः कृषिमित् कृषस्व वित्ते रमस्व बहुमन्यमानः।”
यानी, जुआ मत खेलो, कृषि करो और सम्मान के साथ धन पाओ। इसे भी पढ़ें- History of Indian Medical Science : हर युग में चिकित्सा को समृद्ध करने वाले महान शोधकर्ता, पढ़िए पत्रिका की खास रिपोर्ट