अखिलेश यादव ने क्या कहा ?
सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर अखिलेश यादव ने लिखा कि जाति जनगणना का फ़ैसला 90% पीडीए की एकजुटता की 100% जीत है। हम सबके सम्मिलित दबाव से भाजपा सरकार मजबूरन ये निर्णय लेने को बाध्य हुई है। सामाजिक न्याय की लड़ाई में ये पीडीए की जीत का एक अतिमहत्वपूर्ण चरण है।
अखिलेश ने दी चेतावनी
उन्होंने आगे लिखा कि भाजपा सरकार को ये चेतावनी है कि अपनी चुनावी धांधली को जाति जनगणना से दूर रखे। एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को अपनी-अपनी जनसंख्या के अनुपात में अपना वो अधिकार और हक़ दिलवाएगी, जिस पर अब तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे थे।
ये INDIA की जीत है!: अखिलेश यादव
उन्होंने आगे लिखा कि ये अधिकारों के सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण है और भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अंतिम। भाजपा की प्रभुत्ववादी सोच का अंत होकर ही रहेगा। संविधान के आगे मनविधान लंबे समय तक चल भी नहीं सकता है। ये INDIA की जीत है!
सीएम योगी ने क्या कहा ?
सीएम योगी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर लिखा कि 140 करोड़ देशवासियों के समग्र हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में CCPA द्वारा जाति जनगणना को आगामी जनगणना में शामिल किए जाने का निर्णय अभूतपूर्व एवं स्वागत योग्य है।
सीएम योगी ने दिया धन्यवाद
उन्होंने आगे लिखा कि वंचित, पिछड़े और उपेक्षित वर्गों को सही पहचान और सरकारी योजनाओं में उनकी उचित भागीदारी दिलाने की दिशा में यह एक निर्णायक पहल है। पीएम मोदी का हार्दिक आभार, जिनके नेतृत्व में भाजपा सरकार ने सामाजिक न्याय और डेटा-आधारित सुशासन को वास्तविकता में बदलने का यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
कोरोना महामारी की वजह से टली थी आम जनगणना
देश में लास्ट आम गजनगणना साल 2011 में हुई थी। इसे हर दशक में कराने का प्रावधान है। इस हिसाब से जनगणना दोबारा साल 2021 में करायी जानी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था। इधर विपक्षी दलों की मांग थी कि जातिगत जनगणना भी कराई जाए। केंद्र सरकार ने साल 2021 की होने वाली आम जनगणना और जातिगत जनगणना को एक साथ कराने का फैसला लिया है। सितंबर में हो सकती है शुरुआत
जनगणना कराने में करीब एक साल का समय लग जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनगणना साल 2025 के सितंबर में शुरू की जा सकती है। इस हिसाब से साल 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत के महीनों में जनगणना का डेटा सामने आ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जनगणना होने से नीति निर्माण में आसानी होती है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जातिगत जनगणना के बाद राजनीति में क्या बदलाव आते हैं।