scriptराजा भैया पर अखिलेश यादव की टिप्पणी ने बढ़ाई सियासी हलचल, क्या खत्म हो रहा है सालों पुराना समीकरण? | Akhilesh Yadav's comment on Raja Bhaiya increased political stir, is the years old equation coming to an end? | Patrika News
लखनऊ

राजा भैया पर अखिलेश यादव की टिप्पणी ने बढ़ाई सियासी हलचल, क्या खत्म हो रहा है सालों पुराना समीकरण?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल ही में एक दिलचस्प मोड़ आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को लेकर एक बयान दिया। इस बयान ने दोनों नेताओं के संबंधों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।

लखनऊApr 24, 2025 / 09:06 pm

Prateek Pandey

akhilesh yadav raja bhaiya news update
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। देशभर में इस घटना को लेकर गुस्सा है। मामले में राजनीतिक नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। इसी सिलसिले में लखनऊ में मीडिया से मुखातिब हो रहे अखिलेश यादव से पूछा गया कि राजा भैया ने कश्मीर टूरिज्म का बहिष्कार करने की अपील की है, तो उन्होंने जो जवाब दिया वो एक नया राजनीतिक रूप ले चुका है।

हमारा कोई परिचय उनसे नहीं है: अखिलेश यादव

दरअसल, लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान जब अखिलेश यादव से पूछा गया कि राजा भैया ने कश्मीर टूरिज्म का बहिष्कार करने की अपील की है, तो उन्होंने इस सवाल पर जवाब देते हुए कहा, “हमारा उनसे कोई परिचय नहीं है।” इस संक्षिप्त लेकिन तीखे बयान से साफ संकेत मिले कि अब अखिलेश और राजा भैया के बीच दूरी बढ़ गई है।
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में यह माना जा रहा था कि राजा भैया ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया था। चुनावी रैलियों में सपा के मंच पर “राजा भैया जिंदाबाद” के नारे भी लगे थे और समर्थक भारी संख्या में अखिलेश की रैलियों में पहुंचे थे। खुद अखिलेश यादव ने भी इशारों में यह संकेत दिया था कि पुराने मतभेद भुलाकर कुछ पुराने साथी वापस आ रहे हैं। उन्होंने कहा था, “जो थोड़ा बहुत नाराज थे, वह भी आज हमारे साथ हैं।”

क्या हो सकता है दूरियां बढ़ाने का कारण?

अखिलेश यादव के हालिया बयान से स्पष्ट हो गया है कि राजनीतिक समीकरण एक बार फिर बदल चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस दूरी के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। पहला कारण यह माना जा रहा है कि अखिलेश यादव इन दिनों ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर फोकस कर रहे हैं, और इसी रणनीति के तहत वे ठाकुर-राजपूत नेताओं से दूरी बनाते दिख रहे हैं। ऐसे में राजा भैया जैसे प्रभावशाली ठाकुर नेता के साथ खुलकर खड़ा होना इस रणनीति के विपरीत माना जा सकता है।
यह भी पढ़ें

पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले शुभम द्विवेदी के पिता से सीएम योगी ने की बात, अधिकारियों को दिए ये निर्देश

दूसरा बड़ा कारण आगरा में करणी सेना द्वारा सपा सांसद रामजीलाल सुमन के घर पर किए गए विरोध प्रदर्शन को भी बताया जा रहा है। इस घटना के बाद राजा भैया ने घायल करणी सेना के कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉल पर बात की थी, जिससे सपा नेतृत्व और राजा भैया के बीच असहजता बढ़ी।

पिता मुलायम सिंह यादव से था गहरा नाता

यह भी दिलचस्प है कि राजा भैया कभी सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते थे। मुलायम सिंह की सरकार में वे मंत्री भी रहे और व्यक्तिगत रिश्ते भी काफी गहरे बताए जाते थे। मुलायम सिंह ने तो राजा भैया की शादी में भी विशेष भूमिका निभाई थी। इसी पृष्ठभूमि में जब 2023 में एक शादी समारोह में अखिलेश यादव और राजा भैया आमने-सामने आए, तो दोनों ने मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया था। उस समय ऐसा लगा था कि पुरानी दूरियां अब समाप्त हो रही हैं।

राज भैया ने आतंकी हमले पर दी थी प्रतिक्रिया

लेकिन अब अखिलेश का यह कहना कि “हमारा उनसे कोई परिचय नहीं है”, न केवल राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत संबंधों पर भी सवाल खड़ा करता है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब राजा भैया ने कश्मीर में हुए आतंकी हमले पर काफी आक्रामक प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है और अब पर्यटकों को वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे आतंकियों को आर्थिक लाभ मिलता है और वे ‘जेहाद’ को मजबूती देते हैं।
यह भी पढ़ें

“हमलों को झेलना हिंदुओं की नियति बन गई है”, मुर्शिदाबाद हिंसा पर राजा भैया की तीखी प्रतिक्रिया

राजा भैया के इस बयान को जहां एक वर्ग में सराहा गया तो वहीं कुछ राजनीतिक दलों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश के रूप में भी देखा। लेकिन अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए राजा भैया से संबंध से भी पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया।
इन सब बातों को देखते हुए अब सवाल यह है कि क्या यह बयान राजनीतिक बयानबाजी भर है या फिर दोनों नेताओं के बीच कोई गहरी खाई बन चुकी है? यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले विधानसभा चुनावों में दोनों दल और नेता किस रणनीति के साथ उतरते हैं और क्या पुराने रिश्तों में फिर से कोई मोड़ आता है या नहीं। फिलहाल के लिए इतना तय है कि यूपी की राजनीति में अखिलेश यादव और राजा भैया की दूरी एक बार फिर सुर्खियों में है और इसके सियासी मायने हर किसी की नजर में हैं।

Hindi News / Lucknow / राजा भैया पर अखिलेश यादव की टिप्पणी ने बढ़ाई सियासी हलचल, क्या खत्म हो रहा है सालों पुराना समीकरण?

ट्रेंडिंग वीडियो