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यूपी में गो-क्रांति: हर जिले में खुलेंगे गो-आधारित स्टार्टअप हब, युवाओं को मिलेगा सुनहरा भविष्य

प्रदेश के सभी 75 जिलों में गौ-आधारित स्टार्टअप हब स्थापित किए जाएंगे। इन हब में पंचगव्य औषधि इकाइयां, गोबर पेंट उत्पादन केंद्र और जैविक खाद संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जहां गोबर और गोमूत्र जैसे गौ उत्पादों से मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार किए जाएंगे।

लखनऊJun 30, 2025 / 06:11 pm

Avaneesh Kumar Mishra

AI Generated Symbolic Image.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देने और युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की है। प्रदेश के सभी 75 जिलों में गौ-आधारित स्टार्टअप हब स्थापित किए जाएंगे, जो ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार की एक नई क्रांति लेकर आएंगे।
यह अभिनव पहल ‘एक जिला एक नवाचार’ मॉडल पर आधारित है और इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं को रोजगार की फैक्ट्री के रूप में विकसित करना है। इन हब में पंचगव्य औषधि इकाइयां, गोबर पेंट उत्पादन केंद्र और जैविक खाद संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जहां गोबर और गोमूत्र जैसे गौ उत्पादों से मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार किए जाएंगे।

गौशालाएं बनेंगी आत्मनिर्भर उद्यम

योजना के तहत, प्रत्येक जिले की कम से कम एक गौशाला को एक आत्मनिर्भर उद्यम इकाई के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां जैविक खाद, बायोगैस, गोबर की ईंटें, गोमूत्र आधारित औषधियां और प्राकृतिक पेंट जैसे उत्पादों का उत्पादन होगा। यह न केवल गौशालाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार और लघु उद्योग से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर भी प्रदान करेगा।

स्टार्टअप की तरह होगा संचालन

गौ सेवा आयोग के विशेष कार्याधिकारी (OSD) अनुराग श्रीवास्तव ने इस महत्वाकांक्षी योजना की जानकारी देते हुए बताया कि इन केंद्रों का संचालन पूरी तरह से ‘स्टार्टअप मॉडल’ पर आधारित होगा। सरकार का विशेष ध्यान युवाओं और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को प्राथमिकता देने पर रहेगा। उन्हें इन उद्यमों को स्थापित करने और सफलतापूर्वक चलाने के लिए प्रशिक्षण, आवश्यक संसाधन और बाजार से जोड़ने जैसी हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

स्वदेशी मॉडल, स्वच्छ ऊर्जा और स्थानीय नवाचार का संगम

  • यह पहल स्वदेशी ज्ञान और आधुनिक तकनीक का एक अनूठा संगम है।
  • गांवों में बायोगैस इकाइयों की स्थापना से स्वच्छ ऊर्जा का विकल्प मिलेगा।
  • गोबर से बनी ईंटें न केवल पर्यावरण के अनुकूल होंगी, बल्कि ईंधन और निर्माण कार्यों में भी उपयोगी साबित होंगी।
  • गोमूत्र आधारित दवाओं और जैविक खाद की बढ़ती मांग स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।
  • स्थानीय संसाधनों और तकनीकों का उपयोग करके आत्मनिर्भर गांवों का निर्माण होगा।
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रोजगार की अपार संभावनाएं

  • इस योजना से राज्य में रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा होंगी:
  • प्रत्येक जिले में दर्जनों युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
  • महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हज़ारों महिलाएं लाभान्वित होंगी।
  • मूल्यवर्धित जैविक उत्पादों के उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।

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