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महिला वार्ड के समीप से शुरू हुई आग
सोमवार रात लगभग 9 बजे आग की शुरुआत अस्पताल के दूसरे माले पर स्थित महिला मेडिसिन वार्ड के पास एक बंद कमरे से हुई। बंद कमरे से काले धुएं का उठना देखकर तीमारदारों में हड़कंप मच गया। पहले किसी को यह समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है, लेकिन कुछ ही मिनटों में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और वार्ड तक फैलने लगी। चीख-पुकार के बीच अस्पताल का स्टाफ सक्रिय हुआ। मरीजों को बचाने के लिए डॉक्टर, नर्सें और सफाईकर्मी बिना किसी सुरक्षा के धुएं में कूद पड़े। उन्होंने न केवल मरीजों को बाहर निकालना शुरू किया, बल्कि इलाज का जरूरी सामान और दवाइयां भी सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने की कोशिश की। यह भी पढ़ें
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आईसीयू के मरीजों को निकालना रहा सबसे मुश्किल
सबसे ज्यादा चुनौती ICU में भर्ती मरीजों को निकालने में आई। आग के साथ-साथ धुआं ICU तक पहुंच गया, जिससे वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति पर भी असर पड़ा। कई डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ मुंह पर कपड़ा बांधकर ICU के भीतर पहुंचे और एक-एक मरीज को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की मदद से बाहर निकाला। इस अफरा-तफरी के बीच ICU में भर्ती 61 वर्षीय राजकुमार प्रजापति की मौत की खबर सामने आई है। वे ICU के बेड नंबर 314 पर भर्ती थे। बताया जा रहा है कि आग के कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई थी, जिससे उनकी मौत हुई। हालांकि प्रशासन इस मौत की पुष्टि नहीं कर रहा। रामकुमार प्रजापति के परिजनों पत्नी लक्ष्मी, बेटे दीपेंद्र और दामाद सूरज ने मीडिया को बताया कि वह 13 अप्रैल को भर्ती हुए थे और घटना के समय ICU में ही थे। वह हुसैनगंज के छितवापुर के निवासी थे।
प्रशासन और दमकल विभाग का संयुक्त प्रयास
आग की सूचना मिलते ही लखनऊ के विभिन्न फायर स्टेशनों से लगभग 12 दमकल की गाड़ियां और दो हाइड्रोलिक वाहन मौके पर पहुंचे। दमकल कर्मियों ने तुरंत ऑपरेशन शुरू किया और रात लगभग 1 बजे तक आग पर काबू पा लिया गया। रेस्क्यू में पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और फायर ब्रिगेड के अधिकारी-कर्मचारी लगातार जुटे रहे। घटना की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी लखनऊ, मंडलायुक्त, DG हेल्थ और कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। अस्पताल की सीजफायर प्रणाली से आग को बुझाने की कोशिश की गई लेकिन वह विफल रही, जिससे हालात और गंभीर हो गए। यह भी पढ़ें
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रेस्क्यू के बाद मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक भी मौके पर पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि उस समय अस्पताल में करीब 200 मरीज भर्ती थे, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालकर सिविल अस्पताल, KGMU और बलरामपुर अस्पताल में शिफ्ट किया गया। उन्होंने कहा, “सौभाग्यवश कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई है। प्रशासनिक अमला, पुलिस और अस्पताल स्टाफ की तत्परता के कारण सभी मरीज सुरक्षित हैं।” यह भी पढ़ें
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