UP Electricity Bill 2025 : वादा 03 रुपये, झटका 13 का, अब उपभोक्ताओं को देना पड़ेगा इतना एक्स्ट्रा चार्ज
UPPCL Tariff Order 2025 : BJP के संकल्प पत्र में गरीबों के लिए सस्ती बिजली का वादा था, लेकिन अब यूपी में बिजली कंपनियां 100 यूनिट पर ₹13 प्रति यूनिट तक वसूलने की तैयारी में हैं। फिक्स चार्ज से लेकर स्लैब तक सब कुछ बदलने की तैयारी है और सबसे ज्यादा मार उस वर्ग को पड़ेगी जिसके लिए राहत का वादा किया गया था।
वादा 3 प्रति यूनिट का, अब 100 यूनिट पर ₹1400 का बिल (फोटो – पत्रिका नेटवर्क)
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की जनता को बिजली दरों को लेकर बड़ा झटका लगने वाला है। उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPERC) को जो संशोधित प्रस्ताव भेजा है, उसमें उपभोक्ताओं को लगभग 13 रुपए प्रति यूनिट तक का भुगतान करना पड़ सकता है। वहीं अब अगर 100 यूनिट तक की बात करें तो शहरी उपभोक्ताओं को 5.50 रुपए की जगह 6.50 रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है। बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने संकल्प पत्र में मात्र ₹3 प्रति यूनिट का वादा किया था।
बीजेपी ने अपने 2022 के चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि ‘गरीबों को 100 यूनिट तक ₹3 प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी।’ यह घोषणा प्रदेश की 2 करोड़ से अधिक गरीब और सीमित खपत वाले उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत मानी गई थी। लेकिन अब पॉवर कॉर्पोरेशन का प्रस्ताव बताता है कि 100 यूनिट की खपत पर शहरी उपभोक्ताओं को ₹840 रुपए तक बिजली का बिल चुकाना पड़ सकता है।
फिक्स चार्ज में भी होगा बदलाव
फिक्स चार्ज और स्लैब प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए अब शहरी फिक्स चार्ज को ₹110 से बढ़ाकर ₹190 और ग्रामीण का ₹90 से बढ़ाकर ₹150 प्रति किलोवाट करने का प्रस्ताव दिया गया है। इससे बिजली की लागत में सीधा इजाफा होगा, भले ही आप कम खपत करते हों। यानी कम बिजली जलाने वालों पर भी ज्यादा बोझ डाला जा रहा है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने उठाया सवाल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे खुला धोखा करार दिया है। उनका कहना है कि पॉवर कॉर्पोरेशन ‘फिक्स चार्ज’ और स्लैब सिस्टम में इस तरह का बदलाव कर कम खपत करने वालों से ज्यादा वसूली की रणनीति अपना रहा है। परिषद ने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए विद्युत नियामक आयोग में लोकमहत्व प्रस्ताव दाखिल किया है।
वर्मा ने यह भी सवाल उठाया कि जब बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का ₹33,122 करोड़ का सरप्लस पड़ा हुआ है, तब उपभोक्ताओं से इतनी भारी भरकम बढ़ोतरी की मांग क्यों की जा रही है? यह पैसा उपभोक्ताओं को रियायत या सब्सिडी के रूप में लौटाया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा करने की जगह उन्हें दोगुना बिल थमाया जा रहा है।
इसके अलावा यह भी बताया गया है कि अब तक बिजली की दरें चार स्लैब में तय होती थीं, जिससे कम खपत करने वाले को कम रेट का लाभ मिलता था। अब स्लैब को तीन में सीमित किया जा रहा है, जिससे रेट सीधे ऊपर जा रहे हैं। नए स्लैब में कहीं-कहीं तो 50% से ज्यादा वृद्धि की गई है।
छोटे उपभोक्ताओं को देना पड़ सकता है दोगुना चार्ज
इन सब बदलावों का सीधा असर प्रदेश के उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जो महीने में 80 से 100 यूनिट के बीच बिजली खर्च करते हैं। ये वही लोग हैं जिनके लिए सरकार ने वादा किया था कि बिजली को उनकी पहुंच में रखा जाएगा। अब इन उपभोक्ताओं को हर महीने 840 रुपए तक का भुगतान करना पड़ सकता है। पहले इन्हीं उपभोक्ताओं को 640 रुपए तक बिजली का बिल देना होता था। साफ शब्दों में अगर कहें तो जो शहरी उपभोक्ता 100 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करेंगे उनको अब नई दरें आने पर 200 रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
सवाल अब यह है कि क्या सरकार अपने वादे पर कायम रहेगी या कंपनियों के दबाव में उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का बोझ उठाना पड़ेगा? यह मामला सिर्फ दरों की बात नहीं है, यह सवाल है भरोसे का, नीति का और संवेदनशील शासन का।
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