UP में ई-कोर्ट्स लाने की तैयारी
अब अगर किसी फैक्ट्री या कंपनी में कोई विवाद होता है, तो उसे जल्दी से जल्दी सुलझाने की कोशिश की जा रही है। सरकार चाहती है कि बात कोर्ट तक जाने से पहले ही आपसी समझौते से मामला निपट जाए। चाहे वो मुआवजा हो, न्यूनतम वेतन, मातृत्व लाभ, या पत्रकारों से जुड़े मसले – सबका समाधान तेजी से किया जा रहा है। यहां तक कि ई-कोर्ट्स लाने की तैयारी भी हो रही है, जिससे सारा काम ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से हो।
अब मनमर्जी से नहीं होगा निरीक्षण
निरीक्षण यानी इंस्पेक्शन की बात करें तो अब मनमर्जी से निरीक्षण नहीं होगा। योगी सरकार ने इस व्यवस्था में भी बदलाव किया है। अब नए कारोबारों को शुरू के एक साल तक निरीक्षण से छूट दी गई है, और अगर कोई खुद ही कानून का पालन कर रहा है (यानि सेल्फ सर्टिफिकेशन किया है), तो पहले पांच साल में सिर्फ एक बार ही निरीक्षण होगा और वो भी अचानक नहीं – 48 घंटे पहले सूचना देना जरूरी है। इसके अलावा, निरीक्षण के बाद अफसर को अपनी रिपोर्ट भी 48 घंटे में ऑनलाइन पोर्टल पर डालनी होगी। इससे सब कुछ साफ-सुथरा और जवाबदेह रहेगा। श्रमिकों और उद्यमियों को सरकार देगी हक
सरकार की ये कोशिशें ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को सच्चाई में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। इससे एक तरफ जहां मजदूरों की जिंदगी बेहतर होगी, वहीं दूसरी ओर उद्यमियों का भरोसा बढ़ेगा और वो ज्यादा निवेश करेंगे। इससे नई फैक्ट्रियां खुलेंगी, रोजगार बढ़ेगा और उत्तर प्रदेश तेजी से तरक्की की राह पर आगे बढ़ेगा। योगी सरकार का मकसद साफ है – यूपी को एक ऐसा राज्य बनाना जो न सिर्फ औद्योगिक रूप से मजबूत हो, बल्कि जहां हर श्रमिक को उसका हक भी मिले।