कैसे चल रहा था नकली चाय पत्ती का गोरखधंधा?
फैक्ट्री में नकली चायपत्ती बनाने के लिए खतरनाक केमिकल, सिंथेटिक रंग और सेंडस्टोन (बलुआ पत्थर) का इस्तेमाल किया जा रहा था। इन सामग्रियों के जरिए चायपत्ती को असली जैसा दिखाने का प्रयास किया जाता था। इसके बाद इसे विभिन्न ब्रांडेड पैकेजिंग में पैक कर बाजार में बेचा जा रहा था। यह भी पढ़ें
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18 जिलों में फैला था नेटवर्क
अधिकारियों के अनुसार, नकली चायपत्ती की सप्लाई लखनऊ सहित 18 जिलों में की जा रही थी। फैक्ट्री में बड़े पैमाने पर पैकेजिंग सामग्री और ब्रांडेड नाम के रैपर भी बरामद हुए हैं।स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा
खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि नकली चायपत्ती में इस्तेमाल किए गए केमिकल और पत्थर पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।सैंपल जांच के लिए भेजे गए
छापेमारी के दौरान जब्त किए गए सिंथेटिक रंग, सेंडस्टोन और नकली चायपत्ती के नमूनों को लैब जांच के लिए भेजा गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह भी पढ़ें
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अधिकारियों का बयान
STF के एक अधिकारी ने कहा, “हमने फैक्ट्री पर छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकली चायपत्ती और अन्य सामग्री जब्त की है। फैक्ट्री के संचालक की पहचान कर ली गई है और उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी हैं।”जनता से अपील: नकली चायपत्ती से बचें
खाद्य सुरक्षा विभाग ने आम जनता से अपील की है कि चाय पत्ती खरीदते समय ब्रांड की जांच करें। किसी भी संदिग्ध उत्पाद के बारे में तुरंत संबंधित विभाग को सूचित करें। केवल प्रमाणित ब्रांड की चायपत्ती का ही उपयोग करें। यह भी पढ़ें