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लखनऊ

वसीयत और बंटवारे में नहीं लगेगा अलग-अलग शुल्क, अब सभी शहरों में एक जैसा नियम

CM Yogi: उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकायों में संपत्ति संबंधी कार्यों की प्रक्रियाओं और शुल्क संरचना में एकरूपता लाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वसीयत, बंटवारा अथवा अन्य प्रकार के नामांतरण के मामलों में सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में अब एक समान प्रक्रिया और शुल्क व्यवस्था लागू की जाए।

लखनऊApr 28, 2025 / 08:30 am

Aman Pandey

CM Yogi

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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद नगर विकास विभाग ने नई व्यवस्था की कार्ययोजना की तैयारी शुरू कर दी है।वर्तमान व्यवस्था में नगरीय निकायों में नामांतरण प्रक्रियाओं और शुल्कों में व्यापक असमानता है, जिससे नागरिकों को अनावश्यक असुविधा और आर्थिक भार उठाना पड़ता है। उदाहरण के लिए, गाजियाबाद नगर निगम में वसीयत के आधार पर संपत्ति के नामांतरण के लिए 5,000 रुपए शुल्क लिया जाता है, जबकि लखनऊ नगर निगम में यही कार्य निशुल्क किया जाता है। मेरठ नगर निगम में संपत्ति के बंटवारे के नामांतरण हेतु संपत्ति के मूल्य का 3 प्रतिशत शुल्क निर्धारित है, वहीं प्रयागराज नगर निगम में यह शुल्क केवल 2 हजार रुपए है।

नगरीय निकायों में नामांतरण शुल्क अलग-अलग

नगर पालिका परिषदों की बात करें तो फतेहपुर पालिका परिषद में वसीयत के आधार पर नामांतरण पर 2,000 रुपए शुल्क लिया जाता है, जबकि बदायूं पालिका परिषद में कोई शुल्क नहीं लिया जाता। तो वहीं नगर पंचायतों में भी ऐसी ही स्थिति है। इसी भिन्नता के चलते एक ही तरह के मामलों में अलग-अलग शहरों में अलग व्यवहार होता है। इससे आम जनता भ्रमित होती है और कई बार एक ही प्रकृति के कार्य के लिए दो अलग-अलग जनपदों में अलग-अलग आर्थिक भार वहन करना पड़ता है। नागरिकों की शिकायतों और जमीनी स्तर पर पनपती असुविधाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि अब राज्य में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार ही सभी नगरीय निकायों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

क्या है सरकार की योजना

यूपी के सभी नगरीय निकायों में वसीयत, बंटवारा और संपत्ति कर निर्धारण सूची में संशोधन, परिवर्तन की प्रक्रिया तथा शुल्क को भी समान बनाया जाएगा। वर्तमान में कर निर्धारण में भी विभिन्न निकायों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होती है। प्रस्तावित नई व्यवस्था से इस प्रकार की असमानताओं को समाप्त कर एक पारदर्शी, सुगम और नागरिक हितैषी प्रणाली स्थापित की जाएगी। प्रदेश के सभी नगर निगमों, पालिकाओं एवं नगर पंचायतों में प्रशासनिक स्तर के आधार पर एक समान प्रक्रिया और शुल्क निर्धारण की व्यवस्था की जाएगी।
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जल्द ही कैबिनेट में पेश होगा प्रस्ताव

सीएम योगी के मार्गदर्शन में नगर विकास विभाग ने इस दिशा में नई नियमावली और शुल्क की दर तय करने का कार्य शुरू कर दिया है। जल्द ही इसे संस्तुति के लिए कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि राज्य के नागरिकों को कहीं भी, किसी भी जनपद के नगरीय निकाय में एक समान सुविधा मिले, जिससे अनावश्यक देरी या आर्थिक शोषण से बचाव हो। ‘ईज़ ऑफ लिविंग’ को साकार करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम नगरीय प्रशासन में सुधार और नागरिक संतुष्टि बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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