मई महीने की उपलब्धियां: आंकड़ों की जुबानी सफलता की कहानी
राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली (RCCMS) की रिपोर्ट के अनुसार मई 2025 में उत्तर प्रदेश में कुल 3,20,719 राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया, जो कि एक सराहनीय आंकड़ा है। इसमें से:
- लखनऊ: 15,137 मामलों का निस्तारण कर प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा।
- जौनपुर: 9,945 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
- प्रयागराज: 9,525 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
- लखनऊ की इस उपलब्धि के पीछे प्रशासन की संगठित योजना, मॉनिटरिंग और समयबद्ध कार्य प्रणाली की भूमिका प्रमुख रही।
जिला स्तरीय न्यायालयों में जौनपुर फिर टॉप पर
जौनपुर प्रशासन ने न्यायालयीय मानकों को पीछे छोड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया है। डीएम डॉ. दिनेश चंद्र सिंह के अनुसार, जिले की पांच राजस्व न्यायालयों ने निर्धारित 250 मामलों के मासिक मानक के मुकाबले 563 मामलों का निस्तारण किया, यानी 225.20% की उपलब्धि। यह सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि जमीनी प्रशासनिक संकल्प का प्रमाण हैं।
इसके अतिरिक्त:
- सुल्तानपुर: 549 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर
- गाजीपुर: 262 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर
DM न्यायालय स्तर पर अयोध्या टॉप पर
- मई माह में अयोध्या के जिलाधिकारी न्यायालय ने भी उल्लेखनीय कार्य किया:
- निर्धारित 30 मामलों के मानक के विरुद्ध 69 मामलों का निस्तारण किया गया
- 230% लक्ष्य पूर्ति, जो पूरे प्रदेश में सबसे अधिक है
इसके बाद
- जौनपुर: 66 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर
- मऊ: 65 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर
ADM स्तर पर भी जौनपुर का दबदबा बरकरार
- राजस्व प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर जौनपुर की सशक्त उपस्थिति रही:
- ADM (भू-राजस्व) जौनपुर: निर्धारित 50 मामलों के विरुद्ध 208 मामलों का निस्तारण – प्रदेश में प्रथम
- ADM गाजीपुर: 61 मामलों का निस्तारण – दूसरा स्थान
- ADM मिर्जापुर: 24 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर
- वित्त एवं राजस्व विभाग में भी दिखी तत्परता
- ADM (वित्त एवं राजस्व): 50 मानक के विरुद्ध 146 मामलों का निस्तारण (292% उपलब्धि) – प्रथम स्थान
- बाराबंकी: 138 मामलों के साथ दूसरा स्थान
- तीसरे स्थान पर: 114 मामलों के साथ अन्य जिला
उपजिलाधिकारी स्तर पर मिला-जुला प्रदर्शन
- अतिरिक्त उपजिलाधिकारी प्रथम, जौनपुर: 60 के मानक के विरुद्ध 80 मामलों का निस्तारण – 37वें स्थान पर
- अतिरिक्त उपजिलाधिकारी द्वितीय, जौनपुर: 60 के विरुद्ध 63 मामलों का निस्तारण – 37वें स्थान पर
- इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कुछ क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश अभी बाकी है।
तकनीकी सुधार और प्रशासनिक रणनीति का फल
इस सफलता के पीछे RCCMS (राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली) की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही। अब राजस्व वादों की फाइलों को डिजिटल रूप में दर्ज किया जा रहा है, जिससे न केवल ट्रैकिंग आसान हुई है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ी है। साथ ही, जिलाधिकारियों और अपर जिलाधिकारियों को स्पष्ट लक्ष्य दिए गए हैं, और उनकी नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।
न्यायिक व्यवस्था पर जनता का बढ़ता भरोसा
इन आंकड़ों और उपलब्धियों से साफ है कि प्रदेश सरकार राजस्व से जुड़ी समस्याओं को गंभीरता से ले रही है। यह आम नागरिकों के लिए राहत की बात है क्योंकि भूमि विवाद, दाखिल-खारिज, म्यूटेशन जैसी समस्याएं आमतौर पर वर्षों तक लंबित रहती थीं। अब इनका समयबद्ध निस्तारण हो रहा है।
नया उत्तर प्रदेश, जवाबदेह प्रशासन
मई माह की यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि “बदलते उत्तर प्रदेश” की प्रशासनिक तस्वीर है। अब लखनऊ से लेकर जौनपुर तक और अयोध्या से मऊ तक प्रशासनिक अमला सक्रिय है और आम नागरिकों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि यही रफ्तार और पारदर्शिता बनी रही, तो आने वाले समय में राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा सकती है।