व्यावसायिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ावा
- नई भवन निर्माण उपविधियों में ग्रीन बेल्ट को छोड़कर किसी भी प्रकार की भूमि पर भवन निर्माण की अनुमति दी गई है। इसके तहत अब:
- 3000 वर्ग मीटर भूमि पर अस्पताल/नर्सिंग होम का नक्शा पास होगा।
- मेडिकल दुकानों के लिए भूमि की अनिवार्यता 300 वर्ग मीटर से घटाकर 100 वर्ग मीटर कर दी गई है।
- हॉस्पिटल निर्माण हेतु सड़क की चौड़ाई 18 मीटर से घटाकर 12 मीटर कर दी गई है।
- इन सुधारों से छोटे शहरों और कस्बों में भी आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार को बल मिलेगा। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना जताई जा रही है।
होटल और होमस्टे निर्माण भी आसान
- पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए:
- 20 कमरों तक के होटल 9 मीटर चौड़ी सड़क पर बनाए जा सकेंगे।
- 20 से अधिक कमरों वाले होटल 12 मीटर चौड़ी सड़क पर बनाए जा सकेंगे।
- होमस्टे के लिए अब अलग से मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
- हेरिटेज होटल निर्माण के लिए कई प्रक्रियाएं सरल की गई हैं।
अयोध्या, मथुरा, वृंदावन, प्रयागराज, आगरा, लखनऊ जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर होटल निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे “डेस्टिनेशन वेडिंग” और टूरिज्म उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी।
रिहायशी निर्माण को भी मिलेगी सहूलियत
500 वर्ग मीटर तक के आवासीय भवन और 200 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भवनों के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य किया गया है। चिकित्सा व अन्य सेवाओं से जुड़े पेशेवरों को अपने घर के 25% हिस्से में कार्यालय चलाने की अनुमति होगी।
प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सरलता
अब भवन निर्माण स्वीकृति से संबंधित अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की समय-सीमा निर्धारित की गई है, जिससे अनावश्यक विलंब और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी। सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रैक किया जा सकेगा। सेटबैक और निर्माण ऊंचाई में बदलाव
- 15 मीटर तक ऊंचे भवनों के लिए सेटबैक 5 मीटर निर्धारित।
- 51 मीटर से अधिक ऊंचे भवनों के लिए सेटबैक 16 मीटर तक निर्धारित किया गया है।
आवास निर्माण को बढ़ावा
इन प्रावधानों से फ्लैट निर्माण में तेजी आएगी। इससे मध्यम वर्ग के लिए सस्ते और सुलभ आवास उपलब्ध होंगे। रियल एस्टेट क्षेत्र में नई जान आएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
राज्य को मिलेगा राजस्व, जनता को सुविधा
विशेषज्ञों का मानना है कि भवन निर्माण और व्यावसायिक नियमों में यह बदलाव न केवल प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा, बल्कि इसके जरिये सरकार को राजस्व वृद्धि, नागरिकों को बेहतर सुविधाएं और उद्योगों को आसान निवेश का रास्ता मिलेगा। यह निर्णय शहरी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।