उन्होंने कहा कि किसी भी सनातनी की चोटी काटना, उसका अपमान करना, अत्यंत निंदनीय कृत्य है और ये धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने ये भी अपील की कि हमें जातियों में नहीं बंटना चाहिए। देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि मैं जातिगत बातों और जातियों में नहीं बंधना चाहता हूं। मैं सभी सनातियों को जोड़ना चाहता हूं।
आज के नेता कर रहे अंग्रेजों वाला काम
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि एक गांव में एक घटना घटी और इसको लेकर देश के कुछ बड़े नेता बयान दे रहे हैं। कई बड़े नेता हैं जो सिर्फ जाति के नाम पर कूद पड़े। वो लोग जातियों के विरोध में बयान दे रहे हैं। ये लोग वही काम कर रहे हैं जो अंग्रेजों ने किया।’ कथावाचक देवकीनंद ने आगे कहा, “सनातन में, पुराणों में जितने भी अवतार हुए, वो धर्म की स्थापना के लिए हुए। धर्म की स्थापना करना ही हम सबका दायित्व है। हम इस देश में धर्म की स्थापना करें, न कि धर्म का खंडन करें। हम सबको चाहिए कि एक साथ रहकर धर्म का सम्मान करना चाहिए। धर्म को बढ़ाना चाहिए और देश को बचाना चाहिए। ये हमारा कर्तव्य होना चाहिए।”
जाति के चक्कर में खराब न करें सद्भाव
क्या ब्राह्मण के अलावा किसी अन्य जाति का व्यक्ति कथा कर सकता है? इस पर देवकीनंदन ठाकुर ने जवाब दिया और कहा कि कोई भी व्यक्ति कथा कर सकता है। कथा प्रवचन कोई भी कहीं भी करे, इसमें क्या बुराई है? उन्होंने कहा, ‘हमने रसखान को स्वीकार किया है। रसखान के पद हम लोग गाते हैं। इसमें जाति के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। हम सभी को एक होना चाहिए।’ इटावा के घटनाक्रम पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, ‘वहां जो भी घटनाएं हुई हैं, इसके लिए कानून है। प्रशासन है। प्रशासन अपना काम करे और जिसकी गलती है उसे सजा दे। लेकिन बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों को जातिवाद फैलाकर समाज को नहीं लड़ाना चाहिए।’