भगवान चित्रगुप्त पर टिप्पणी कर बुरे फंसे कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा, मांगनी पड़ी माफी
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। कथा के दौरान भगवान चित्रगुप्त को लेकर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते उन्हें कायस्थ समाज का गुस्सा झेलना पड़ गया। अब उन्होंने माफी मांग ली है।
पंडित प्रदीप मिश्रा को एक बयान के बाद तमाम आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।भगवान चित्रगुप्त पर टिप्पणी के बाद कायस्थ समाज में गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है। मुरादाबाद में खासतौर से इसका विरोध काफी तेज रहा।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने विरोध करते हुए आरोप लगाया कि प्रदीप मिश्रा ने भगवान चित्रगुप्त को “मुछनदर” कहकर और “तू-तड़ाक” की भाषा का इस्तेमाल कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। महासभा के पदाधिकारियों ने इसे अपमानजनक बताया और साथ ही कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि एक कथावाचक से संयमित भाषा की अपेक्षा होती है, न कि इस प्रकार की अपमानजनक शब्दावली की।
मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह को भी शिकायती पत्र सौंपा गया। उन्होंने कहा कि अगर प्रदीप मिश्रा ने माफी नहीं मांगी होती तो उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाती।
प्रदीप मिश्रा को मांगनी पड़ी माफी
कायस्थ समाज के विभिन्न संगठनों ने प्रदीप मिश्रा के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सार्वजनिक माफी की मांग की। विरोध बढ़ता देख पंडित प्रदीप मिश्रा ने सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना की। मंगलवार को कुबेश्वर धाम में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रदीप मिश्रा ने कहा, ‘मेरी वाणी से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा चाहता हूं। किसी के हृदय को ठेस पहुंचाना श्री महापुराण कभी नहीं कहता है। श्री महापुराण हमेशा जगत कल्याण का कार्य करती है और बात करती है। फिर भी अगर मेरी वाणी से किसी भी समाज को किसी व्यक्ति को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं’।
यह पहली बार नहीं है जब वे इस तरह के विवाद में फंसे हैं। इससे पहले भी वे राधा रानी को लेकर की गई टिप्पणी के चलते मथुरा-वृंदावन के संतों के निशाने पर आ चुके हैं। उस समय भी उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी।
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