जीबीएस के प्रकोप से पुणे के सिंहगढ़ क्षेत्र में 73 लोग प्रभावित हुए हैं। शनिवार को 9 संदिग्ध मरीज पाए गए। पुणे नगर निगम ने इस बीमारी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। वहीँ, हालात को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे में एक टीम भेजी है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत
पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित होने के बाद सोलापुर के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ने वाले मरीज का विसरा जांच के लिए भेजा जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद मौत के कारणों का खुलासा होगा। पुणे के धायरी इलाके में रहने वाले 40 साल के सीए की जीबीएस के संक्रमण से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि 11 जनवरी को पहली बार लक्षण दिखे थे। इसके बाद शख्स एक कार्यक्रम के लिए सोलापुर जिले में स्थित अपने गांव गया था। जहां तबियत बिगड़ने पर इलाज के लिए सोलापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मरीज को सर्दी, खांसी और सांस लेने में दिक्कत होने पर 18 जनवरी को सोलापुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुरुआत में आईसीयू में इलाज किया गया और हालत में सुधार आने पर सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन शनिवार को अचानक मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो उन्हें फिर आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
क्यों तेजी से फैल रही ये बीमारी?
एक साथ बीमारी फैलने का कारण पता लगाने के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर सर्वे शुरू किया है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं ये बीमारी पानी के कारण तो नहीं फैल रही है।
क्या है जीबीएस बीमारी
जीबीएस एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्व सिस्टम के एक हिस्से पर हमला करता है। जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, पैर-बाहों में झुनझुनी, सूनापन और निगलने या सांस लेने में दिक्कतें होती हैं। जीबीएस संक्रमण दूषित पानी या भोजन के सेवन से हो सकता है। संक्रमण से दस्त और पेट दर्द हो सकता है। कुछ व्यक्तियों में, प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं को निशाना बनाती है, जिससे 1 से 3 सप्ताह के भीतर जीबीएस के बारे में पता चल जाता है।
ऐसे करें बचाव
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से उबला हुआ पानी पीने और खुले में या बासी खाना खाने से बचने की सलाह दी है। साथ ही हाथ-पैरों की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाने की अपील की है। इसके लक्षण आमतौर पर सांस या पाचन तंत्र के संक्रमण के बाद दिखाई देने लगते हैं। भले ही जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी है लेकिन इसका इलाज संभव है।