Sharad Pawar-Ajit Pawar : महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। एक ओर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के संभावित गठबंधन की चर्चा जोर पकड़ रही है, वहीं अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो धड़ों शरद पवार गुट और अजित पवार गुट के एक साथ आने की अटकलों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
पुणे जिले के बारामती तालुका स्थित मालेगांव सहकारी चीनी कारखाना की आगामी चुनावी प्रक्रिया के चलते यह चर्चा और भी तेज हो गई है। 22 जून को होने वाले इस महत्वपूर्ण चुनाव में दोनों राष्ट्रवादी गुटों के एक साथ आने की प्रबल संभावना है। चूंकि बारामती पवार परिवार का गढ़ है, इसलिए इस चुनाव (Malegaon Sugar Factory Election) को महज एक सहकारी संस्था का चुनाव न मानकर एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
बारामती न सिर्फ पवार परिवार का गढ़ है, बल्कि राज्य की राजनीति में इसके फैसलों का दूरगामी असर होता रहा है। इसलिए सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या इस चुनाव में शरद पवार और अजित पवार एक साथ आएंगे।
मालेगांव सहकारी चीनी कारखाना बारामती तालुका में एक प्रमुख चीनी उत्पादन केंद्र है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शरद पवार गुट ने मालेगांव शुगर फैक्ट्री चुनाव में अजित पवार से 21 में से 6 सीटें मांगी हैं। सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि अजित पवार 6 में से कितनी सीटें देंगे। आज नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है। इसलिए दोपहर तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि पवार परिवार एक मंच पर आएगा या नहीं। फिर एनसीपी के दोनों खेमे के पैनल अपनी अंतिम सूची जारी करेंगे। इस घोषणा के साथ यह लगभग साफ हो जाएगा कि पवार परिवार बारामती के इस चुनाव में एक साथ आएंगे या नहीं।
इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर नए गठबंधन और समीकरणों की संभावना को जन्म दे दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या शरद पवार और अजित पवार फिर एक साथ खड़े होंगे?
हालांकि, अजित पवार गुट के दो वरिष्ठ नेता एनसीपी के एकजुट होने के विरोध में बताए जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि एनसीपी के दोनों गुट एक हो जाते हैं, तो केंद्र की सत्ता में वर्तमान संख्याबल के आधार पर सुप्रिया सुले को मोदी सरकार में मंत्री पद मिल सकता है।