क्या है मामला?
वायरल हो रहे 17 सेकंड के वीडियो में सेंट्रल लाइन की एक भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन में दो महिला गुटों के बीच जबरदस्त बहस होती दिख रही है। वीडियो की शुरुआत में एक महिला, जो कैमरे में नहीं दिख रही है, दूसरे गुट को गालियां देती सुनाई देती है। इसी दौरान एक महिला गुस्से में कहती है, मुंबई में रहना है तो मराठी बोलो, नहीं तो बाहर निकलो। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच बहस और तेज हो जाती है। अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की है और बताया है कि यह विवाद सेंट्रल रेलवे की महिला डिब्बे में हुआ था। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
वैसे तो मुंबई लोकल में यात्रियों के बीच हल्की-फुल्की बहसें और टकराव आम बात हैं, लेकिन इस बार मामला भाषा विवाद से जुड़ा होने के कारण गंभीर बन गया है। मुंबई जैसे महानगर में देश के लगभग हर कोने से आए लोग दशकों से एक साथ रहते आए हैं और अपनी-अपनी भाषाओं में संवाद करते हैं। आमतौर पर अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में अपनाते हैं।
चाहे वह 26/11 का आतंकी हमला हो, 2005 की विनाशकारी बाढ़ हो या कोरोना महामारी – हर बार मुंबई ने एकजुट होकर विपत्तियों का डटकर सामना किया है। यही कारण है कि ‘स्पिरिट ऑफ मुंबई’ को पूरी दुनिया में सराहा जाता है।
लेकिन हाल के कुछ घटनाक्रमों ने इस एकता को भाषा के आधार पर दरकाने का काम किया है। भाषा को लेकर बढ़ती सियासत ने मुंबईकरों के बीच एक अनचाहा विभाजन पैदा करने की कोशिश की है। खासकर राज ठाकरे की मनसे (MNS) ने इस मुद्दे को आगामी बीएमसी चुनावों (BMC Election) से पहले प्रमुख एजेंडे में शामिल किया है, जिससे यह मामला और भी ज्यादा संवेदनशील हो गया है।