किसान आईडी के अभाव में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में कुल 1.71 करोड़ पंजीकृत किसान हैं, लेकिन इनमें से लगभग एक करोड़ किसानों ने ही अब तक अपना किसान आईडी बनवाया है। यानी लगभग 70 लाख किसानों (करीब 41%) के पास किसान आईडी नहीं है।
हालांकि सरकार और प्रशासन की ओर से बार-बार अपील की जा रही है, लेकिन बहुत से किसानों ने अभी तक किसान आईडी के लिए पंजीकरण नहीं करवाया हैं। यही वजह है कि कई जिलों और तालुकों में अभी तक तय लक्ष्य पूरे नहीं हुए हैं। जबकि कृषि विभाग की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अब से सभी योजनाएं सीधे इस पहचान क्रमांक से जुड़ेंगी। यानी भविष्य में पीएम किसान सन्मान निधि, फसल बीमा, महाडीबीटी पोर्टल पर उपलब्ध सभी योजनाएं, प्राकृतिक आपदा राहत, कृषि कर्ज और अन्य सभी सरकारी सहायता योजनाओं के लाभ सिर्फ उन्हीं किसानों को मिलेंगे जिनके पास किसान आईडी होगी।
क्या है किसान आईडी?
बता दें कि किसान यह आईडी केंद्र सरकार की ‘एग्रीस्टैक’ परियोजना का हिस्सा है, जिसके तहत किसानों के जमीन से जुड़े दस्तावेज, फसल की जानकारी, पशुधन और अब तक मिले सरकारी लाभों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा किया जा रहा है। हर किसान के आधार नंबर को भी इससे जोड़ा जाएगा। एग्रीस्टैक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसके तहत किसानों की जानकारी का एक व्यापक डेटाबेस बनाया जाएगा। हर किसान को एक यूनिक किसान आईडी मिलेगी, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो जाएगी।
किसान आईडी के लिए पहले पंजीकरण की आखिरी तारीख 31 मार्च थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दिया गया है। ग्राम कृषि विकास समितियों, कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) और फील्ड स्तर की एजेंसियों को इस काम में तेजी लाने के लिए कहा गया है।